
फोटो -धरना प्रदर्शन में शामिल महिला- पुरुष
शशि पाठक
टंडवा(चतरा) मंगलवार को सीसीएल प्रबंधन के कुनीतियों के खिलाफ प्रखंड कार्यालय परिसर में सैंकड़ों भू-रैयतों द्वारा एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिपरवार उत्तरी कर्णपुरा क्षेत्र के विस्थापित आदिवासी- मूलवासी परिवारों ने रुढ़िगत संयुक्त ग्राम सभा मंच के नेतृत्व में सभी शामिल हुवे। जहां जय संविधान,जल-जंगल-जमीन हमारा है जैसे गगनभेदी नारे लगाते हुवे सरना झंडे व तख्ती बैनर के साथ महा जुटान हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुष्मिता उरांव व संचालन रामकुमार उरांव तथा महेंद्र उरांव द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। जहां प्रदर्शन में सीसीएल प्रबंधन के विरुद्ध दशकों से शोषण, अन्याय और संवैधानिक अधिकारों का हनन करने के आरोप लगाये गये। वहीं मंच से अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार, अवैध जमाबंदी, ‘नो इंट्री’ नियमों की अनदेखी एवं व्यक्तिगत सामुदायिक वन पट्टा सत्यापन में जानबूझकर विलंब करने के गंभीर आरोप लगाये गये। लोगों ने सामुदायिक वन अधिकार पट्टा (सीएफआर) देकर जल-जंगल-जमीन बचाने की मांग की।
कोयला खनन के नाम पर छलावा। विस्थापन का छलका दर्द
रैयतों ने सीसीएल द्वारा नियमों को दरकिनार कर कोयला खनन के बाद जमीन समतल कर वापस नहीं लौटाने पर आक्रोश व्यक्त किया।कहा कि सीसीएल ने भूमि अधिग्रहण के समय नौकरी, शिक्षा और जमीन वापसी करने के सिर्फ झूठे वादे किये। प्रशासन व प्रबंधन के कुनीतितों के कारण आदिवासी- मूलवासी की अस्मिता अब ख़तरे में है।
मंच ने सीएनटी एक्ट-1908 की अनदेखी कर सीसीएल द्वारा अवैध म्यूटेशन कराये जाने का पुरजोर विरोध किया। वहीं सीसीएल द्वारा अरबों रुपए की कमाई करने के बावजूद भी गांवों में बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। डीएमएफटी और सीएसआर फंड का लाभ योग्य विस्थापित -प्रभावित परिवारों को नहीं मिल रहा है जिसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई।
बीडीओ सह प्रभारी अंचल अधिकारी को सौंपा गया 32 सूत्री ज्ञापन
बीडीओ सह प्रभारी अंचल अधिकारी देवलाल उरांव को 32 सूत्री मांगों वाला ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें शामिल प्रमुख मांगों में कोल खनन के बाद जमीनों को उपजाऊ बनाकर रैयतों को वापस करना,अवैध म्यूटेशन रद्द करना, पंचायत क्षेत्र में रैयतों को 25 डिसमिल जमीन उपलब्ध कराते हुवे योग्यतानुसार नौकरी प्रदान करना, फर्जी ग्राम सभा की एनओसी रद्द कर 75% रैयतों की सहमति अनिवार्य करना, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन पट्टा का त्वरित सत्यापन तथा वितरण शामिल हैं।आंदोलनकारियों ने कहा कि विकास की कीमत पर आदिवासियों मूलवासी का विनाश वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। अंचल प्रशासन को त्वरित संज्ञान का अल्टीमेटम देते हुवे समुचित पहल नहीं होने पर एनके, पिपरवार सहित सभी खनन परियोजनाएं पूरी तरह बंद कर दी चेतावनी दी।
इस मौके पर महेंद्र उरांव, रामकुमार उरांव, विकास महतो, रूपलाल महतो, जुगेश मिंज, बीरेंद्र एक्का, अनिल कुमार महतो, सुशील टोप्पो, अंगद कुमार महतो, सुरेंद्र टोप्पो, बालेश्वर उरांव, प्रेम सुंदर लकड़ा, प्रियंका देवी, बहरा मुंडा, गुलाब महतो, कामेश्वर गंझु, तापेश्वर गंझु, साधू चरण टाना भगत, सलेंद्र उरांव, रंथु उरांव,जोधन महतो, बल्कु टाना भगत, सूरज महतो, अलग्जेंदर तिग्गा, हीरामणि देवी, गोपाल गंझु, किरण कुमारी, अमृत उरांव, भरत गंझु, चन्द्र मोहन गंझु, अर्जुन उरांव समेत सैंकड़ों महिला- पुरुष शामिल थे।








