
लोहरदगा। जिला 20सूत्री सदस्य लोहरदगा सह सचिव,प्रदेश कांग्रेस कमिटी के जगदीप भगत ने जिला परिषद पर भेदभाव का आरोप लगाया है। जगदीप भगत ने कहा कि आज झारखंड से लेकर पूरे देश मे आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए आए दिन नए-नए नियम बनाए जा रहे हैं लेकिन लोहरदगा जिला परिषद कार्यालय में आदिवासी संवेदक के साथ भेदभाव कर जिले के विकास में एक षड्यंत्र के तहत दूर रखा जा रहा है। आज आदिवासी समाज बहुत मुश्किल से अपने को बिजनेस रोजगार के क्षेत्र में अपना उपस्थिति दर्ज करना चाह रहे हैं लेकिन जिला परिषद में सामंतवादी ताकत ने आदिवासी संवेदक को जानबूझकर नियम का हवाला देकर किनारे कर दिया जा रहा है। एक तरफ जिला परिषद में नए संवेदकों के लिए पंजीयन किया गया है पंजीयन के उपरांत कार्यालय के द्वारा निविदा निकाला जा रहा है लेकिन निविदा में विगत 3 वर्षों का टर्नओवर, विगत 3 वर्षों का आइ टी आर एवं ऑडिट रिपोर्ट के साथ साथ एक्सपीरियंस मांगा जाता है । अब इसमें सवाल यह है कि जो नए संवेदक पंजीयन कराए हैं ना तो उनके पास एक्सपीरियंस होगा, ना 3 वर्षों का इनकम टैक्स रिटर्न होगा, और ना ही 3 वर्षों का टर्नओवर होगा। ऐसे में जिला परिषद बताएं की नए संवेदकों को काम कैसे मिलेगा? अब सवाल उठता है की नए पंजीयन कराए गए संवेदकों को उक्त नियमों का हवाला देकर किनारे कर दिया जाएगा तो उनका पंजीयन का औचित्य क्या है ? जो संवेदक आज पुराने हैं क्या वह जन्मजात हैं ? या वह भी कभी नए थे? ऐसा लगता है की जिला परिषद में कुछ चहेते संवेदक को लाभ लाभ पहुंचाने में जिला परिषद के कुछ पदाधिकारी के मिली भगत के कारण नए संवेदकों को संविदा कार्यों से दूर रखने का एक षड्यंत्र है। इन्हीं सब बातों को लेकर विगत दिनों उप विकास आयुक्त से मिलकर एक आवेदन पत्र दिया गया था परंतु उस आवेदन पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया और न ही निकली गई निविदा में कोई संशोधन किया गया। संवेदक संघ के द्वारा भी कई बार आवेदन देकर नियम में संशोधन करने का अनुरोध किया गया लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं होना काफी निंदनीय है।