
चतरा। जिले के हंटरगंज प्रखंड स्थित सुप्रसिद्ध कौलेश्वरी पर्वत पर मां कौलेश्वरी मंदिर व तीन धर्माे का संगम स्थल में भारत के विभिन्न राज्यों सहित विदेशों तक प्रसिद्ध है। सप्ताह में सातो दिन मां की पूजा-अर्चना की जाती है। शुक्रवार को कौलेश्वरी पहाड़ पर मुंडन संस्कार को लेकरभारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कौलेश्वरी की तलहटी हटवारिया में सैकड़ों की संख्या में बड़ी एवं छोटी गाड़ियों का काफिला दिखा। लेकिन आज भी मां कौलेश्वरी मंदिर प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। सांसद तो दूर किसी स्थानीय नेता की नजर भी यहां फैली गंदगी पर आज तक नहीं पड़ी है। लिहाजा, मंदिर मुख्य द्वार हटवरिया के इर्द गिर्द कचरा गृह बन चुका है। कौलेश्वरी मंदिर परिसर में अगर किसी बात की बड़ी समस्या है तो वह मंदिर परिसर और उसके इर्द-गिर्द फैली गंदगी है। दरअसल, मंदिर में शुभ मुहूर्त मुंडन संस्कार में विशेष पूजा-अर्चना तांत्रिक पद्धति से की जाती है और पूजा के दौरान पाठा यानी बकरे की बलि दी जाती है और पहाड़ के नीचे इसे बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। सालों से चली आ रही परंपरा के कारण यहां हजारों की तादाद में बलि पड़ती है। यहां एक जलमीनार है बना है जिसके इर्द गिर्द गंदगी का अंबार हैं वहां पर खाना खाना तो दूर रहना भी पसंद ना हो लेकिन मजबूरन श्रद्धालुओं के द्वारा बलि (बकरा) का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह स्थल शुद्ध है। इस संबंध में पूछे जाने पर कौलेश्वरी प्रबंधन समिति के सचिव सह अंचलाअधिकारी अरुण कुमार मुंडा ने बताया कि जल्द से जल्द हाइ मास्क लाइट रिपेयर करवाने के साथ समस्याओं का भी समाधान कर लिया जाएगा।