आदिवासी छात्र संघ के अगुवाई में जन आक्रोश रैली, पारंपरिक अस्त्र-शास्त्र और सरना झंडा के साथ शामिल रहे महिला-पुरुष

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लोहरदगा। आदिवासी छात्र संघ लोहरदगा और केंद्रीय सरना समिति लोहरदगा, स्वशासन पड़हा व्यवस्था, जिला राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के साथ संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को जन आक्रोश रैली निकाली गई। उक्त रैली आदिवासी छात्र संघ जिला लोहरदगा के अगुवाई में विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों के साथ बैठक में कुरमी समुदाय द्वारा एसटी कोटा में शामिल होने संबंधी मांग के विरोध में लिये गये निर्णय के आलोक में निकाली गई। आदिवासी जन आक्रोश रैली में शामिल जिले भर के आदिवासी युवक, युवतियां, महिला, पुरुष अपने पारंपरिक अस्त्र शास्त्र और सरना झंडा के साथ एक तीर एक कमान सभी आदिवासी एक समान, आदिवासी एकता जिंदाबाद, कुरमी आदिवासी बनना बंद करो का नारा लगाते हुए बीएस कॉलेज लोहरदगा परिसर से निकल कर बरवा टोली चौक, अलका सिनेमा, पावर गंज चौक होते हुए कचहरी मोड़ से समाहरणालय मैदान पहुंचें। इसके बाद राज्यपाल झारखंड के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से राज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि किसी भी हाल में कुर्मियों को एसटी कोटा में शामिल नहीं करने के साथ संवैधानिक पहल करने की मांग की गई है। ज्ञापन सौंपने वालों में आदिवासी छात्र संघ केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव, जिला अध्यक्ष अवधेश उरांव, महासचिव फूलचंद उरांव, केंद्रीय सरना समिति लोहरदगा के अध्यक्ष रघु उरांव, सरना प्रार्थना सभा के अध्यक्ष सोमदेव उरांव, स्वशासन पड़हा व्यवस्था जिला सचिव जतरू उरांव शामिल थे। ज्ञापन सौंपने के उपरान्त सभा को संबोधित करते हुए सुशील उरांव ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के साथ ही हम आदिवासियों के हक अधिकार को छीनने का षडयंत्र शुरू हो गया था। जो अब कुरमी समुदाय के द्वारा जबरन एसटी कोटा में शामिल होने की कुचेष्टा की जा रही है। कुर्मियों का कहना है कि हम पहले आदिवासी थे, लेकिन बाद में हटा दिया गया। श्री सुशील उरांव ने कहा कि कुरमी ना तो कभी आदिवासी थे ना हैं और ना ही रहेंगे। आदिवासी होने संबंधी शर्तें बिल्कुल पूरी नहीं करते हैं। कुरमी की सामाजिक स्थिति, आर्थिक और धार्मिक स्थितियां आदिवासियों से एकदम भिन्न है। ये लोग सिर्फ़ राजनीतिक रूप से सशक्त और सभी सरकारी नौकरी में अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं। सुशील उरांव ने आगे कहा कि कुरमी कभी आदिवासी नहीं हो सकता है। इसको रोकने के लिए हमें चाहे जो करना पड़े वो हम करेंगे। कहीं न कहीं झारखंड में आदिवासी और कुर्मियों के बीच दरार पैदा कर राजनीतिक स्वार्थ के लिए साजिश किया जा रहा है। वहीं सभा को संबोधित करते हुए फूलचंद उरांव ने कहा कि आदिवासियों के हक अधिकार को छीनने का प्रयास है, इससे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। ये आग का दरिया है तैर कर जाना है डूबना नहीं डुबाना है। अवधेश उरांव ने कहा झारखंड के आदिवासी एक सूत्र में बंधे रहो मंजिल खुद बखुद मिलेंगे। हम अपने हक अधिकार के लिए मरने मिटने को तैयार हैं। यूथ कांग्रेस नेता अभिनव सिद्धार्थ भगत, केंद्रीय सरना समिति लोहरदगा रघु उरांव, जतरू उरांव, सोमदेव उरांव, प्रोफेसर वरुण उरांव, आदिवासी छात्र संघ के पंकज भगत, महादेव उरांव ने भी सभा को संबोधित किया।

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