चतरा/पत्थलगड़ा(श्रीकांत राणा)। झारखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक चतरा जिला जिले के पत्थलगड़ा प्रखंड अंर्तगत लेंबोईया पहाड़ी पर अवस्थित दक्षिणमुखी देवी स्थान में पिछले 345 वर्षों से शारदीय नवरात्र की पूजा की जा रही है। इस मंदिर को लेकर कई प्राचीन परंपरा और मान्यताएं हैं। यह स्थान माता सती के वाम नेत्र की पलकों का सिद्धपीठ माना जाता है। साथ ही यह मन्नतों के लिए प्रसिद्ध है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर के बुजुर्ग पूजारी यदुनंदन पांडेय उर्फ भुली पांडेय के अनुसार मान्यता है कि पहाड़ी पर माता सती के वाम नेत्र गिरे थे। यहां जो भी श्रद्धालु माथा टेकते हैं माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती है। पहाड़ी पर माता भगवती दक्षिणमुखी चामुण्डा रूप में विराजमान हैं। श्री पांडेय आगे बताते हैं कि 1680 में पहली बार नवरात्र के मौके पर कलश स्थापित कर मां की पूजा अर्चना कि गई थी।
पूर्व में यहां के पूजा का सारा कार्य व खर्च रामगढ राजा कामख्या नारायण सिंह द्वारा किया जाता था। उस वक्त यहां भैसे की बलि दी जाती थी। बीच में भैसे की बलि बंद होने पर बकरे की बलि दिया जाने लगा। वर्तमान में भी बलि का संकल्प राज परिवार के नाम से हीं होता है। हांलाकि माता के मंदिर में प्रखंड क्षेत्र के अलावे दुर दराज के लोग सालों भर माता टेकने पहुंचते हैं। लेकिन शारदीय नवरात्र पर माता के पूजा अर्चना हेतु विशेष भीड़ उमड़ती है। नवरात्रा के पहले दिने से ही पहाड़ी पर माता के उपासना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। अष्टमी पूजा पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। प्रखंड के अलावे पड़ोसी जिले, प्रखंड़ों के साथ दुसरे प्रदेश से भी भारी संख्या में श्रद्धालु माता के इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।