नई दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में भारी बहुमत हासिल करने के बाद 13 मई 2023 के दोपहर कांग्रेस नेता राहुल गांधी मीडिया के सामने आए और कहा कर्नाटक में नफरत की बाजार बंद होने के साथ मोहब्बत की दुकानें खुली हैं। कर्नाटक की जनता ने दिखा दिया कि देश को नफरत नहीं मोहब्बत अच्छी लगती है।
मैं कर्नाटक की जनता, कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और पार्टी के सब नेताओं को बधाई देता हूं। कर्नाटक के चुनाव में एक तरफ क्रोनी कैपिटलिस्ट की ताकत थी, दूसरी तरफ जनता की ताकत थी और जनता ने इन्हें हरा दिया।
हमने प्यार और मोहब्बत से यह लड़ाई लड़ी। कर्नाटक की जनता… pic.twitter.com/pYbhxlKrsc
— Congress (@INCIndia) May 13, 2023
वहीं राहुल गांधी के बयान से पूर्व भाजपा ने कर्नाटक में हार स्वीकार कर ली। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पूरे नतीजे आने के बाद समीक्षा की जाएगी और लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम में कांग्रेस को जीत की बधाई दी। वहीं समर्थन करने वालों का शुक्रिया किया।
कर्नाटक की जनता ने दिखा दिया है कि उन्हें एक ऐसी राजनीति चाहिए, जहां उनके मुद्दों पर बात होर: कांग्रेस महासचिव
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के लोगों ने साबित कर दिया है कि ध्यान भटकाने की राजनीति अब काम नहीं करेगी।
मैं कर्नाटक की जनता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को दिल से धन्यवाद देती हूं।
कर्नाटक की जनता ने दिखा दिया है कि उन्हें एक ऐसी राजनीति चाहिए, जहां उनके मुद्दों पर बात हो।
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के लोगों ने साबित कर दिया है कि ध्यान भटकाने की राजनीति अब काम नहीं करेगी।
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इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, कांग्रेस 133 सीटों पर जीती है और 03 पर आगे है, कुल 136 सीटें। भाजपा को 64 पर जीत और 01 पर आगे है, कुल 65 सीटें। जेडीएस 19 सीटें जीती है। अन्य 4 सीटों पर जीती है।
दुसरी ओर कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार रोते हुए कहा, मैंने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को जीत का आश्वासन दिया था। मैं भूल नहीं सकता जब सोनिया गांधी मुझसे जेल में मिलने आई थीं, तब मैंने पद पर रहने के बजाय जेल में रहना चुना, पार्टी को मुझ पर भरोसा था। कांग्रेस ने 14 मई 2023 रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है।
- कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा सीट पर जीत दर्ज की है।
- यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बोले, जय बजरंगबली, तोड़ दी भ्रष्टाचार की नली।
- बेंगलुरु में डीके शिवकुमार भावुक हो कहा कांग्रेस नेताओं को श्रेय देता हूं, जिन्होंने इतनी मेहनत की।
- दिल्ली कांग्रेस कार्यालय में जश्न के दौरान एक नेता पटाखा जलाते वक्त बाल-बाल बच गए।
- बेंगलुरु में वोटों की काउंटिंग के दौरान भाजपा के बेस कैंप में अचानक सांप निकल आया। जिससे अफरतफरी मच गई।
कर्नाटक में बीते 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई
कर्नाटक में बीते 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई। अंतिम दफे 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव में जीत दर्ज की थी। जबकी बीते पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) में सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी समर्थन से सरकार बनाई।
कर्नाटक में पहली बार 73.19 प्रतिशत वोटींग, पिछले चुनाव से 1 प्रतिशत अधिक
10 मई को 224 सीटों के लिए 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के अनुसार कर्नाटक में 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ है। जो 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है।
2018 में भाजपा बहुमत नहीं होने के बाबजूद बनाई सरकार, पांच वर्ष में तीन सीएम
2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिली। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी। 14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत में उलट फेर हुई, कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों के बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 119 विधायकों के समर्थन के साथ फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया। इस तरह कर्नाटक में पांच वर्ष में 3 सीएम बने।