झारखण्ड /गुमला- गुरुवार को सिविल कोर्ट, गुमला, के पुस्तकालय कक्ष में डालसा, गुमला, द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं से लैंगिक उत्पीड़न के निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष के संबंध में विस्तृत कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सिविल कोर्ट के महिला कर्मचारीगण, महिला सदस्य, बाल कल्याण समिति तथा संप्रेषण गृह, गुमला, प्रभारी जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, केंद्र प्रशासक, वन स्टॉप सेंटर, काउंसलर तथा शिक्षिका, संप्रेषण गृह तथा बालिका एस एस हाई स्कूल, गुमला, के 10वीं तथा 11वीं कक्षा की छात्राएं शामिल थी। कार्यशाला का शुभारंभ प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश संजय कुमार चांधरियावी, गुमला, के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया तथा इस अवसर पर उन्होंने बताया कि महिलाओं के कार्यस्थल में लैंगिक उत्पीड़न से उनके बचाव, निवारण तथा प्रतिषेध के लिए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013, के अंतर्गत 10 या 10 से अधिक कर्मियो वाले कार्यस्थल में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना अनिवार्य है तथा ऐसा न करने पर ₹50,000/ तक का जुर्माना निश्चित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस समिति में सदस्य के रूप में वरिष्ठ महिला कर्मचारी तथा ऐसी महिला को रखना अनिवार्य है जिन्हें महिलाओं से संबंधित समस्याओं के प्रति सामाजिक कार्य अनुभव हो तथा विधिक् ज्ञान रखती हो।उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित विशाखा वाद में दिए गए गाइडलाइंस के संबंध में भी विस्तृत चर्चा किए। कार्यशाला के दौरान सिविल जज सीनियर डिवीजन निर्मला बरला ने अधिनियम से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर अपनी राय राखी तथा अधिनियम के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में न्यायिक दंडाधिकारी जया एस कुजुर तथा अधिवक्ता इंदु पांडे ने भी अपने विचार रखें। कार्यशाला का संचालन डालसा सचिव पार्थ सारथी घोष ने किया।