कुंदा(चतरा)। गांवों के विकास के दावों की पोल खोलता कुंदा प्रखंड का एक गांव जहां एक बीमार महिला की नदी में बाढ़ आने के बाद घंटों इंतजार करना पड़ा हॉस्पिटल पहुंचने के लिए।इसे व्यवस्था की मार कहें या सरकारी मुलाजिमों व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी। गांवों की विकास को लेकर सरकार लाख दावे कर ले लेकिन हकीकत यह घटना बयां कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार कुंदा प्रखंड मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर परकरिलगड़वा गांव है जहां 50 घरों में लगभग 300 लोग निवास करते हैं। जहां गुरुवार को एक महिला कौशल्या देवी पति महेंद्र गंझू प्रसव पीड़ा से तड़पती रही नदी में पानी का बहाव तेज़ था। नदी के इस पार महिला को अस्पताल ले जाने के लिए वाहन लगी हुवी थी लेकिन परिजन नदी में पानी के तेज बहाव कम होने का इंतजार कर रहे थे। घंटों बाद जब नदी में पानी का बहाव कम हुआ तब उसे अस्पताल पहुंचाया गया। अब सवाल यह उठता है की आखिर इस आधुनिक युग में भी लोग घुट-घुट कर जी रहें हैं तो इसका जिम्मेवार कौन है। आखिर इन गांव वालों का क्या कसूर है ग्रामीणों का कहना है की जब तेज बारिश होती है तो यह गांव टापू बन जाता है।यह एक मात्र मार्ग है जो प्रखंड मुख्यालय को जोड़ती है। ग्रामीणों ने बताया की प्रसव पीड़ा से महिला तड़प रही थी ऐसे में और देर होती तो महिला की जान भी जा सकती थी। ग्रामीणों ने बताया कि बीमार पड़ने या आपातकालीन में वाहन गांव तक नहीं जा पाती है। ऐसे में जान जा सकती है। ग्रामीणों ने बताया की क्या गांव में निवास करना अभिशाप है। या सुदूरवर्ती गांव होने के कारण सरकार व सरकारी मुलाजिम को इस ओर ध्यान नहीं जाता है। गांव वालों की मांग है की जल्द नदी पर पुल का निर्माण हो।