चतरा। शहर स्थित इंदुमती टिबड़ेवाल सरस्वती विद्या मंदिर उच्च विद्यालय में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि वेदव्यास जयंती सह गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन विद्यालय के विशाल वंदना सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन विद्यालय के प्राचार्य रमेश कुमार सिंह व हिंदी के वरीय आचार्य चंद्रमोहन मिश्रा ने महर्षि वेदव्यास के स्मृति चित्र के समक्ष संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य ने कहा कि गुरु मोमबत्ती की तरह होते हैं, जो स्वयं जलकर दूसरों के जीवन में प्रकाश लाने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कोई न कोई गुरु होते हैं जो सही दिशा देने का काम करते हैं। बच्चों के उज्जवल जीवन रूपी पतंग की डोर गुरु के ही हाथों में होता है, जो उसे सही दिशा देने का काम करता है। वहीं आचार्य ने कहा गुरु और शिष्य दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। जिस प्रकार गुरु के बिना शिष्य अधूरा है, उसी प्रकार शिष्य के बिना गुरु अधूरे होते हैं।उन्होंने समर्पण के महत्व पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जिस तरह अन्न में प्रार्थना का महत्व है। उसी प्रकार धन में दान का महत्व है। कमाई का दसवां हिस्सा तो हर इंसान को दान और मदद स्वरूप करना चाहिए। इससे आदमी के ग्रह सितारे भी मजबूत होते हैं और भविष्य में अच्छे प्रतिफल देते हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में गुरु पूर्णिमा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की शक्ति बराबर हो जाती है। आज के ही दिन हिन्दू धर्म के महाग्रंथ महाभारत और श्रीमद्भागवतगीता के रचयिता महर्षि वेदव्यास का अवतरण हुआ था। इस दिन अपने गुरु से आशीर्वाद और कृपा मांगी जाती है। उन्होंने गुरु शिष्य की परंपरा को आगे बढ़ाने पर बल दिया। इस मौके पर विद्यालय के वाटिका खंड के नन्हे बच्चों ने गुरु वेदव्यास, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, विष्णु जी के रूप धर कर सबका मन मोहा। वाटिका प्रभारी संगीता कुमारी ने एकल गीत और गुरु शिष्य जीवनी के माध्यम से दिनों के संबंधो को बताया। कार्यक्रम का समापन बच्चों ने प्रार्थना के साथ किया गया।