नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की गुजरात सरकार पर अपने मामले के दोषियों को समय से पहले रिहा करने की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। अपनी याचिका में 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। न्यायधीश केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने सुनवाई के क्रम में सरकार से दोषियों की रिहाई का कारण पूछते हुए कहा कि आज यह बिलकिस के साथ हुआ, कल किसी के साथ भी हो सकता है। कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार से कहा दोषियों को समय से पहले रिहाई देने से जुड़ी फाइलें पेश करें। आप अदि दोषियों को छोड़ने की वजह नहीं बताते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकालेंगे। न्यायालय ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार से 1 मई तक दसतावेज दाखील कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। वहीं न्यायलय में केंद्र और गुजरात सरकार के तरफ से एएसजी एसवी राजू पेश हो कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन लगाने पर विचार करेंगे, जिसमें रिहाई की फाइल मांगी गई है। मामले की अगली सुनवाई 2 मई को दोपहर 2 बजे होगी।
सेब से संतरे की तुलना कैसे कर सकते हैंः एससी
सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कहा कि जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। आप कैसे सेब की तुलना संतरे से कर सकते हैं? इसी प्रकार आप एक व्यक्ति की हत्या की तुलना सामूहिक हत्या से कैसे कर सकते हैं? यह एक समुदाय व समाज के विरुद्ध अपराध है। हमारा मानना है कि आप अपनी शक्ति और विवेक का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करें। दोषियों को रिहा करके आप क्या संदेश दे रहे हैं? 30 नवंबर 2022 को बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले की सुनवाई शुरू होते ही दोषियों के वकीलों ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और सुनवाई स्थगित करने की मांग की। जिसका याचिकाकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया। न्यायधीश नागरत्ना ने कहा कि जब भी मामले की सुनवाई होती है तो एक आरोपी अदालत में आएगा। वो कार्यवाही स्थगित करने की मांग करेगा। चार हफ्ते बाद एक और आरोपी ऐसा ही करेगा। इस तरह यह दिसंबर तक चलेगा। हम इस रणनीति से भी अवगत हैं। सरकार की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने सुझाव दिया कि सुनवाई के लिए निश्चित तारीख तय की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि बलात्कार और सामूहिक हत्या के अपराध से जुड़े मामले की तुलना साधारण हत्या के मामले से नहीं की जा सकती। दोषियों की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि आपने कहा है कि यह एक गंभीर अपराध है और मैं इसकी सराहना करता हूं, लेकिन वो 15 साल से हिरासत में रहे हैं। बेंच ने कहा कि जब समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाले ऐसे जघन्य अपराधों में छूट देने पर विचार किया जाता है, तो सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए। न्याधीश जोसेफ ने राज्य सरकार से कहा कि अच्छा आचरण होने पर दोषियों को छूट देने को अलग रखना चाहिए। इसके लिए बहुत उच्च पैमाना होना चाहिए। भले ही आपके पास शक्ति हो, लेकिन उसकी वजह भी होनी चाहिए।
सभी दोषी 15 अगस्त को रिहा हुए थे
ज्ञात हो कि 2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप किया गया था और उसके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। पिछले साल 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था। इसके बाद बिलकिस बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग थी। वहीं दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?
बिलकिस का गैंगरेप गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में हुआ
3 मार्च 2002 को गुजरात में गोधरा कांड के बाद दंगे भड़के थे। वहीं दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं। तभी दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां व तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिलकिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी थी। वहीं 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक व्यक्ती तथा तीन साल का बच्चा ही बचे थे। हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वो गर्भवती थीं। दंगों में उनके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था और आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और उसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सब जेल में भेज दिया गया था।
गुजरात दंगों में मारे गए थे 750 मुसलमान
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में भीड़ ने 27 फरवरी 2002 को आग लगा दी थी। इसमें अयोध्या से लौट रहे 57 कारसेवकों की मौत के बाद दंगे भड़क गए थे। दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा में बताया था कि गुजरात दंगों में 254 हिंदू और 750 मुसलमान मारे गए थे।