सिसई सीट पर भाजपा के अरूण उरांव व झामुमो विधायक सह प्रत्याशी सुसाररण जिग्गा होरो के बीच सीधा टक्कर

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झारखण्ड/गुमला: अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा ने बड़ी दांव झामुमो के लिए खेल दी है चुनावी मैदान में झामुमो से अपनी सीट वापसी के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व आईपीएस अधिकारी सह इलाके के जाने-माने आदिवासी समाज के नेता बंदी बाबू एवं आदिवासी के प्रेरणास्रोत स्वर्गीय कार्तिक बाबू के दामाद अरूण उरांव सिसई सीट जीतने के लिए काफी महत्व रखतें हैं गुमला जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र गुमला बिशुनपुर सिसई झामुमो के कब्जे में है और सिसई सीट पर भाजपा ने प्रत्याशी अरूण उरांव को चुनावी मैदान में उतार कर जबरदस्त तरीके से राजनीतिक समीकरण बदल दी है। यहां बताते चलें कि सिसई विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी सरना धर्म की बड़ी आबादी है और अल्पसंख्यकों को लेकर चले तो इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी भी जीत-हार में अहम् भूमिका निभाई है भाजपा प्रत्याशी अरूण उरांव को विजय दिलाने में भाजपा के परंपरागत वोट-बैंक के साथ यदि जमीनी नेता सह पूर्व आईपीएस अधिकारी अरूण उरांव ने आदिवासी समाज एवं अल्पसंख्यकों का मन जीता तो चूनाव जीता की परिवर्तन माहौल बना हुआ है। भाजपा प्रत्याशी अरूण उरांव को भाजपा के वोट-बैंक के साथ ही उनके अपने चहेतों और पारिवारिक राजनीतिक हस्तियों का आशिर्वाद प्राप्त होता नजर आ रहा है।

इस बनते नये राजनीतिक समीकरण ने झामुमो विधायक सह प्रत्याशी सुसाररण जिग्गा होरो की परेशानी बढ़ा दी है जितने आसानी से 2019 में झामुमो ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी आगामी विधानसभा चुनाव 2024 में झामुमो विधायक सह प्रत्याशी सुसाररण जिग्गा होरो के लिए राह आसान नहीं है और यह सीट झामुमो को बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।