चतरा/मयूरहंड। सिमरिया विधानसभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया। उस समय जनता पार्टी के टिकट पर पहले विधायक उपेंद्रनाथ दास बने। 1977 से पूर्व सिमरिया बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। 1980 के विस चुनाव में कांग्रेस के ईश्वरी राम पासवान विधायक बने और एकीकृत बिहार में पहली बार ईश्वरी पासवान मंत्री बने। इसके बाद 1985 के चुनाव में भी ईश्वरी पासवान दोबारा कांग्रेस के टिकट पर जीते और पुनः मंत्री बने। लेकिन उनके बाद आज तक यहां से किसी विधायक को मंत्री बनने का मौका नही मिला। ईश्वरी पासवान दोनों बार वन्य पर्यावरण एवं खनन मंत्री रहे। इस प्रकार 34 वर्षों से यहां से कोई विधायक राज्य सरकार में मंत्री नहीं बन पाये हैं।प्राप्त कांकड़ों के अनुसार 1980 के बाद 1990 व 1995 में भाजपा से उपेंद्रनाथ दास चुनाव जीते। 2000 के विधानसभा चुनाव में राजद से योगेंद्रनाथ बैठा विधायक बने। 2005 के चुनाव में भाजपा के उपेंद्रनाथ दास विधायक बने। विधायक रहते श्री दास का निधन हो गया। इस कारण वर्ष 2007 में उप चुनाव हुआ, जिसमें भाकपा के रामचंद्र राम विधायक बने। वे भी अपने कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। कार्यकाल के कुछ माह पूर्व ही उनका निधन हो गया था। इसके बाद 2009 के चुनाव में जेवीएम जयप्रकाश सिंह भोगता चुने गये। वहीं 2014 में जेवीएम के गणेश गंझू चुनाव जीते। जबकी 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी किशुन कुमार दास विधायक बने। इस प्रकार उपेंद्रनाथ दास को चार बार विधायक बनने का मौका मिला। जानकारों की माने तो 2005 के चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनते-बनते रह गये थे। मंत्री बनने की चर्चा जोरों पर हुई लेकिन, अंतिम क्षण में वे मंत्री नहीं बन पाये। ज्ञात हो कि सिमरिया विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात प्रखंड आते हैं। जिसमें सिमरिया, टंडवा, इटखोरी, लावालौंग, पत्थलगड़ा, गिद्धौर व मयूरहंड प्रखंड शामिल हैं।