भाजपा के मिसिर कुजूर व कांग्रेस के रौशन बरवा निर्दलीय उतर, अपने-अपने गठबंधन प्रत्याशी के लिए बने संकट

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झारखण्ड/गुमला: झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2024 में गुमला जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र गुमला बिशुनपुर एवं सिसई सीट पर भाजपा और झामुमो को आसानी से सीट जीतने की चाहत थोड़ी मुश्किल होता नजर आ रहा है सिसई से कांग्रेस के युवा नेता रौशन बरवा तो बिशुनपुर से कांग्रेस के जुझारू नेता शिव कुमार भगत टुनटुन द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया गया है वहीं गुमला सीट पर भाजपा के पूर्व प्रत्याशी मिसिर कुजूर टिकट नहीं मिलने पर अपना दम-खम रखने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया गया है यानी कि गुमला बिशुनपुर एवं सिसई के झामुमो विधायक चमरा लिंडा बिशुनपुर, सुसारण जिग्गा होरो की चिंता बढ़ गई है वहीं दूसरी तरफ गुमला सीट से भाजपा के युवा नेता मिसिर कुजूर द्वारा भी टिकट लेने की आस लगाए बैठे हुए थे लेकिन टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे यह हालिया तस्वीर बन गया है नामांकन वापसी के समय यदि बागियों ने नाम वापस नहीं लिया तो कांटेदार मुकाबला होना निश्चित है और कहां से कौन बाजी मार लेगा कहना मुश्किल है। ऐसे वक्त पर कहा जा सकता है कि टिकट नहीं मिला तो क्या हम भी बाग़ी बनकर अपना दम-खम दिखाएंगे कहावत चरितार्थ हो रही है। इसके अलावा आने को प्रत्याशी चुनावी मैदान में अलग से नामांकन भर चुके हैं और गुमला जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में अपने अपने समीकरण को लेकर निर्दलीय एवं दलों के प्रत्याशी हैं। हालांकि कहा जाता है कि झामुमों एवं भाजपा के वोट-बैंक अपने-अपने हैं लेकिन सीटिंग झामुमो विधायक भूषण तिर्की,चमरा लिंडा एवं जिग्गा सुसारण होरो के लिए यह विधानसभा चुनाव काफी कांटेदार नजर आ रही है। यहां बताते चले कि बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा झामुमो से आते हैं और विगत लोकसभा चुनाव में गठबन्धन को नजरंदाज कर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान थे और बड़ी बात यह कि लोकसभा चुनाव में करारी हार देखने को मिला और पुनः झामुमो में हैं और चुनाव में फिर अपनी ताकत दिखाने में लगे हुए हैं लेकिन आने वाले समय में झामुमो विधायक चमरा लिंडा को यह अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी वहीं वोट-बैंक है या लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव 2024 में भी परंपरागत वोट-बैंक खोते हुए देखते हैं राजनीति में हलचल मचा हुआ है और आने वाले मतदान के बाद मतगणना में मालूम पड़ेगा कि उनका बग़ावत के बाद पुनः क्षेत्र की जनता उन्हें कितना लोकप्रिय नेता मानते हैं।