*भाजपा की परिवर्तन यात्रा तो झामुमो की गठबंधन सरकार मईया सम्मान यात्रा आगामी विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा किसमें है कितना दम* *झारखंड को देश का सबसे अमीर राज्य बताने वाले नेताओं ने अब एक एक हजार और 2100 रूपया में वोट-बैंक बनाने में भ्रमण कर रेवड़ी बांटने से ज्यादा फिजूलखर्ची कर रहे हैं* *आदिवासी मूलवासी की बात करने वाली राजनीतिक दलों ने सिर्फ वोट-बैंक बनाकर उनके अस्तित्व को समाप्त करने का काम किया है * * तिलस्मी जादू में महिला वोटरों को बांटने वाले राजनीतिक दलों के शासनकाल को देखें तो 1932 खतियान वाले झारखण्ड में बदहाली का जीवन जी रहे हैं आदिवासी मूलवासी* * विस्थापितों को नौकरी और खतियानी आदिवासी मूलवासी युवाओं को रोजगार देने में सरकार फेल झारखण्ड आंदोलनकारियों का सपना भी अधूरे*

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झारखण्ड/गुमला – कहां हैं वे राजनेता जो झारखंड के लिए प्रचार प्रसार में बोलते आएं हैं कि देश का सबसे बड़ा खनिज संपदा से भरे झारखण्ड में आज भी लोग गरीबी और बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं ये नारा सिर्फ चुनावी मैदान में बोलकर सता में आते ही भूल जाते हैं कि देश का समृद्धशाली राज्य की जनता को अब उनकी तकदीर और तस्वीर बदलनी है फिर पांच साल बाद सरकार जहां हमने ये काम किया वो काम किया की रट लगाने में मशगूल हो जातें हैं।
झारखण्ड राज्य को अलग हुए 24 साल यानी पांचवी बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और इन 24 साल में भी आदिवासी मूलवासी अस्तित्व बचाने के लिए हक और अधिकार मांगते नजर आ रहे हैं।
‌‌और ताजा तरिन राजनीतिक दलों की हालिया तस्वीर पर नजर डालें तो वहीं फिर से सत्ता में कायम रहने के लिए या फिर सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी दलों द्वारा झारखंड के वाशिंदों को एक एक हजार रुपए और 2100 रूपया आने पर देंगे विधानसभा चुनाव 2024 के पूर्व ऐसा कर रहे हैं जैसे झारखण्ड वाशिंदों को सिर्फ एक हजार और 2100 रूपये में उनके सारे हक अधिकार जो 1932 खतियानी आदिवासी मूलवासी हैं उन्हें दे रहे हैं।

यहां बताते चलें कि झामुमो गठबंधन एवं विपक्षी दलों द्वारा खासकर महिला वोटरों पर अपना तिलस्मी जादू चला रहे हैं एक तरफ योजना लागू होने के बाद भी घूम-घूम कर मईया सम्मान यात्रा पर फिजूलखर्ची कर रहे हैं तो वहीं झारखण्ड में गठबंधन सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी दल भाजपा द्वारा परिवर्तन यात्रा निकाली गई है।

यहां बताते चलें कि ये रेवड़ी बांटने जैसी योजनाओं से झारखंड के आदिवासी मूलवासी का सपना पूरा नहीं होगा यहां की खनिज संपदा से भरे जाने वाले खजाने से लेकर एक बड़ी रकम जो भेट में भरी जाती है इसके लिए राजनीतिक दलों द्वारा यहां के भोले-भाले मजदूरों किसानों आदिवासियों मूलवासियों एवं विस्थापित हुए लोगों के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। बेरोज़गारी चरम सीमा पर है, मजदूर सिर्फ मेहनती बने हुए हैं और किसान उनके पास सिर्फ लाचारी है कि उनके पास खेती के लिए सिर्फ बारिश का मौसम पर आत्मनिर्भरता है। प्रचूर मात्रा में खनिज संपदा बॉक्साइट माइंस, आयरन ओर, तांबा,अबरख, यूरेनियम, काला सोना, बड़े-बड़े पहाड़ पत्थर खनन के लिए फिर भी 24 साल से गरीब परिवार गरीब बना दिया गया है और अमीर को को और अमीर बनाने की सरकार चलती आ रही है।
‌‌ ना तो झारखण्ड आंदोलनकारियों का परिवार या फिर 1932 खतियान के मुताबिक आदिवासी मूलवासी के अस्तित्व बचाने के लिए अबतक की सरकार ने कोई ऐसा विधेयक लाएं है जो इनके सपने और दिशा तकदीर और तस्वीर बदल सकें।

झारखण्ड की कोई भी सरकार चाहे पूर्ण बहुमत की बनी हो या मिली-जुली सरकार झारखण्ड की जनता को सिर्फ ठगने और लूटने का काम किया है।
टेंडर प्रक्रिया से लेकर हर टेबल पर मोटी कमीशन नीचे से ऊपर पहुंच रही है भ्रष्टाचार को लेकर भी झारखण्ड राज्य में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है कभी यदि भ्रष्ट अधिकारी पदाधिकारी नप गए तो भी चंद दिनों में अपने मूंछ में ताव मारते हुए उसी टेबल पर कायम हो जाते हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

झारखण्ड में निकलने वाले निविदा पर 30से 40 प्रतिशत लेस पर टेंडर स्वीकृति दी जाती है और इसके अलावा नीचे से ऊपर तक का 25 प्रतिशत कमीशनखोरी अलग यानी योजना 40 प्रतिशत योजना राशि से निर्माण कार्य चल रहा है छोटी-छोटी पुलिया निर्माण का टेंडर जारी किए जाते हैं और प्राकल्लन राशि लाखों की बनाने का काम किया जा रहा है। यह है झारखंड को लूटने की सरकारी योजनाएं यह आम लोगों को मालूम नहीं होता है इसलिए आसानी से झारखंड में सियासी लूट मची हुई है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं पर भी पैनी नजर रखने के लिए क्वालिटी डिपार्टमेंट एवं प्राक्कलन समिति द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं भी ज्यादा लूट के लिए बनाई जाती रही है।
GUMLA se Ajay Kumar Sharma ki khaas riport