चतराः मंगलवार को डीजीपी अजय कुमार सिंह अधिकारियों संग लावालौंग प्रखंड मुख्यालय स्थित सीआरपीएफ 190वीं कैंप पहुंच कर मुठभेड़ में शामिल जवानों का हौसला बढ़ाते हुए उनके बीच इनाम की राशि का वितरण किया।
इस दौरान सख्त अंदाज में डीजीपी ने नक्सलियों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि नक्सलियों का समय अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। या तो वह सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाकर हथियार डालते हुए मुख्यधारा में शामिल हो जाएं, या हमारे सुरक्षा बल उन्हें आमने सामने की लड़ाई में ढेर कर देंगे। मुठभेड़ के संबंध में डीजीपी ने आगे कहा कि चतरा-पलामू सीमांत इलाके पर मिली बड़ी सफलता से नक्सलियों की कमर टूट गई है। निश्चित तौर पर हमारे जवान प्रोत्साहन के योग्य हैं और उन्हें आगे की रणनीति के लिए भी कई निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि माओवादियों के एक सशक्त दस्ते के रूप में गौतम पासवान की टीम को जाना जाता था, जो लगातार कई वर्षों से पुलिस बल एवं आम लोगों को क्षति पहुंचा रहा था। उग्रवाद उन्मूलन में झारखंड पुलिस की चौतरफा कार्रवाई जारी है। झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के कुशल नेतृत्व, रणनीति और दृढ़ संकल्प के साथ नक्सलियों के खात्में के लिए कटिबद्ध हैं। डीजीपी ने दावा किया है की अन्य नक्सली भी पुलिस के गोली से घायल हुए हैं जिसकी पड़ताल जारी है। मुठभेड़ के बाद चतरा जिला के पुलिस जवानों के हौसले बुलंद है। आगे भी नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलता रहेगा। सीआरपीएफ एडीजी वितुल कुमार ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में पुलिस को नक्सलियों के विरुद्ध बेहतर सफलता मिली है। पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में झारखंड राज्य में भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के विरूद्ध रणनीति युक्त लगातार करारा प्रहार किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि एसपी राकेश रंजन को मिली गुप्त सूचना के आधार पर सोमवार की सुबह चतरा जिले के अति नक्सल प्रभावित लावालौंग थाना क्षेत्र के नौडीहा जंगल में माओवादियों के भ्रमण की सूचना पर गई सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध फायरिंग के बाद दोनों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गए 5 नक्सलियों में से चार नक्सलियों के विरुद्ध सरकार ने इनाम घोषित कर रखा था। सैक मेंबर गौतम पासवान के विरुद्ध सरकार ने 25 लाख रुपए इनाम घोषित कर रखा था। इसी तरह सैक मेंबर अजीत उराव उर्फ चार्लिस के विरुद्ध भी 25 लाख रुपए का इनाम घोषित था। जबकि सब जोनल कमांडर अमर गंझू व अजय यादव उर्फ नंदू के विरुद्ध पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था। वहीं संजीत भुईया बिहार में सक्रिय था। इसका भी इतिहास खंगाला जा रहा है।