न्यूज स्केल डेस्क
रांची/चतरा। अलकायदा इंडियन सब कॉन्टिनेंट (एक़्यूआईएस) आतंकी मॉड्यूल पर झारखण्ड एटीएस, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने संयुक्त रुप से बड़ी कार्यवाई की है। केंद्रीय एजेंसियों ने गुरुवार को रांची, हजारीबाग और लोहरदगा में एक साथ छापेमारी कर एक डॉक्टर समेत 8 को हिरासत में लिया है। झारखंड में एक़्यूआईएस मॉड्यूल का गठन करने वाला अब्दुल रहमान था। वह शहरों में तकरीर करके लोगों को प्रभावित करने का काम करता था। इसके बाद रेडिक्लाइज कर स्लीपर सेल में भर्ती करता था। हालांकि झारखण्ड में एक़्यूआईएस का पहला चरण ही अभी शुरू हुआ था जिसके लिए रिक्रूटमेंट सेल बनाया गया था। रांची के मेडिका अस्पताल का डॉक्टर इश्तियाक निकला अलकायदा मॉड्यूल का लीडर। झारखंड एटीएस और दिल्ली पुलिस ने की 16 जगहों पर छापेमारी।
अभी तक फरार चल रहा है अबू सुफियान?
झारखंड में रिक्रूटमेंट करने वालों में एक नाम चतरा के अबू सुफियान का भी सामने आ रहा है। जो पुलिस के पकड़ से अब तक दुर है। सूत्रों के मुताबिक अलकायदा के प्रशिक्षण शिविर में जाने के बाद से उसका कोई सुराग़ पता नहीं चल पाया है। गिरफ्तार एक़्यूआईएस के लोग इस्लामिक स्टेट के लिए जिहाद छेड़ने की तैयारी के लिए कार्य कर रहे थे। इनका कार्य प्रचार-प्रसार करना, सामान विचारधारा वाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भर्ती करना है।
सबसे पहले दिल्ली पुलिस के द्वारा वर्ष 2020 में गणतंत्र दिवस समारोह में होने वाले टेरर अटैक को रोकने के लिए अख़बारों में दिए इश्तेहार से पता चलता है। दिल्ली पुलिस ने आतंकियों की तस्वीर जारी कर इनकी जानकारी मांगी थी। इन तस्वीरों में चतरा के अबू सुफियान का पूरा विविरण और तस्वीर भी शामिल थी। इन सभी को अलकायदा, इंडियन मुजाहिदीन और खालिस्तानी आतंकी बताया गया था। इनके बारे में सूचना देने वालों को इनाम देने की घोषणा भी की गई थी।
दिल्ली पुलिस को खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि आतंकी 26 जनवरी 2020 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने मंसूबों को अंजाम देने की साजिश कर सकते हैं। देशभर में इसके मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई, वहीं पाकिस्तान से लगने वाली सीमा और नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ा दी गयी थी।
आठ संदिग्ध आतंकियों से हो रही है पूछताछ, हथियार और आग्नेयास्त्र बरामद
2021 में बिहार के दरभंगा में सिकंदराबाद-दरभंगा स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन से दरभंगा जंक्शन पहुंचे पार्सल के ब्लास्ट की घटना के बाद से शुरू हुई हाई लेवल जांच में भी अबू सूफियान का नाम सामने आया था। जांच में घटना के दिन ही पार्सल मो. सुफियान के नाम से भेजे जाने की पुष्टि भी हुई थी। परन्तु पार्सल पर लिखे मोबाइल फोन नंबर और बारकोड फर्जी थे। जांच एजेंसियों ने सीसीटीवी फुटेज और स्केच की मदद से पार्सल भेजे जाने वाले तक पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन सिकंदराबाद के जीआरपी से पुलिस को सूफियाना का कोई खास पहचान या फिर सुराग हाथ नहीं लगा था।
छोटे शहरों में आतंकियों को पनाह?
घटना के दिन यानी 17 जून 2021 से ही पहले ही एटीएस अलर्ट हो गई थी। लेकिन वह उनके पकड़ नहीं आया। सूफियान की चर्चा तब काफी चरम पर थी जब 2016 में हरियाणा से एनआईए की ओर से सामी की गिरफ्तारी हुई थी। राज्य के छोटे शहरों में आतंकियों को छुपने की पनाह के साथ साथ पढ़े लिखे नौजवान भी काम करने के लिए मिल जाते है जिन्हें गुमराह कर वह आतंकी घटनाओं को अंजाम देते है।