*घाघरा का नितेश उरांव पागल नहीं ऑटो चालक था एक एक्सीडेंट ने उसे लाचार बना दिया भूखा था उसके शरीर में कंपन है लोगों ने दरियादिली दिखाई भोजन कराया – नितेश ने कहा जीना नहीं चाहता हूं* *चिकित्सा प्रभारी ने कहा कोई साथ जाएं तो रिम्स में इलाज हो सकता है*

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झारखण्ड /गुमला-घाघरा प्रखंड मुख्यालय निवासी लगभग 22 वर्षीय नितेश उरांव को देखकर किसी का भी दिल दहल जाएगा नितेश की स्थिति देख लोगों की आंखों मेंआंसू आ रहे है। घटना यह की मंगलवार को प्रखंड कार्यालय परिसर में नितेश किसी तरह पहुंचा लोग उसे देखकर पहले तो पागल समझ रहे थे पर वह परिसर में स्थित एक चाय के ठेले पर आया और कहने लगा मुझे रोटी दो बहुत जोर से भूख लगी है तब जाकर लोगों ने पूछा तो नितेश ने अपनी पीड़ा बताई। नितेश एक सेकंड भी स्थिर अपने शरीर को नही रख सकता है हमेशा उसका शरीर में दर्द रहता है जिससे वह अपने शरीर को मरोड़ते रहता है। इस दौरान नितेश से पूछा गया तो उसने बताया कि यह स्थिति पिछले 1 साल से है उसने महीना गिनते हुए बताया कि 1 साल 9 महीना पूर्व उसका एक्सीडेंट हुआ था पेशे से वह ऑटो चालक था लोहरदगा से घाघरा आने के दौरान कंडरा पुल के समीप दुर्घटना घटी जिससे उसके शरीर के किसी हिस्से में चोट लगी है तब से वह अपंग की स्थिति में है दिनभर वह तड़पते रहता है। नितेश ने कहा कि रात में भी यदि 1 से 2 घंटा नींद आ गई तो बहुत बड़ी बात है दर्द से मुझे बिलकुल चैन नहीं मिल रहा है वह दिन भर इधर-उधर शरीर को मरोड़ते हुवे घूमते रहता है। लोगों ने बताया कि दुर्घटना के बाद उसका इलाज भी कराया गया था पर इलाज अच्छा से नहीं हो पाया जिसके कारण उसकी स्थिति ज्यादा खराब हो गई। परिसर में स्थित ठेले में आकर जब उसने रोटी मांगी तो ठेला में मौजूद महिला ने उसे रोटी बना कर दिया। बात करने से नितेश पूरे साफ-साफ बात किया उसने कहा मुझे जीने का बिल्कुल मन नहीं कर रहा है दिन भर दर्द से पूरा शरीर मरोड़ते रहता है इलाज कराने के लिए मुझे कोई नहीं ले जा रहा है, कोई गाड़ी में मुझे बैठता भी नहीं है क्योंकि मैं स्थिर नहीं रह पाता हूं तो मैं कैसे इलाज कराने के लिए कहीं जाऊं। मेरा मौत भी नहीं आ 2 यदि मेरा मौत आ जाता है तो मुझे इस पीड़ा से मुक्ति मिल जाती। इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी अरविंद कुशल एका से पूछने पर उन्होंने कहा कोई साथ में जाने के लिए तैयार हो जाये तो रिम्स में भेज कर इलाज कराया जायेगा।