
मयुरहंड थाना में तैनात सुरक्षा कर्मी ही असुरक्षित तो दुसरों को कैसे करेंगे सुरक्षित, चहारदीवारी नहीं, पहुंच पथ भी जर्जर
मयूरहंड (चतरा)हिमांशु सिंहः चतरा जिले के मयूरहंड थाने में तैनात सुरक्षा कर्मी ही खुद कुव्यवस्था के कारण असुरक्षित हैं। ऐसे में कैसे दुसरों को करेंगे सुरक्षित एक बड़ा स्वाल है। वर्षों पूर्व प्रखंड स्थापना के उपरांत थाना का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन इसके आधारभूत संरचना और संसाधन विकसित नहीं किये गये। शायद इसका कारण इसे ग्रामीण क्षेत्र में होना हो सकता है। लेकिन सरकार और पुलिस महकमें द्वारा थाने की भौगोलिक स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। थाने से महज बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी से जंगल प्रारंभ हो जाता है। लेकिन थाने की सुरक्षा के लिए चहारदीवारी नहीं है। आम दिनों में थाने की सुरक्षा में तैनात दिवा/रात्रि प्रहरियों द्वारा बताया गया कि रात्रि में जंगली जानवर थाना कैंपस में घुस जाते हैं। गर्मी के दिनों में हिंसक जंगली जानवर पानी की तलाश में थाने में घुसकर सुरक्षाकर्मियों को जानमाल का नुकसान पहुंचा सकते हैं। थाने में पदस्थापित पदाधिकारियों के लिए अलग-अलग आवास की व्यवस्था नहीं होने के कारण अनुसंधान और विवेचन कार्यों में एकाग्रता और मानसिक थकान के दौर से गुजरना पड़ता है। एक ही कमरे में दो-दो पदाधिकारियों को रहना पड़ रहा है। जिसका दुष्प्रभाव कांडो के उद्भेदन और विवेचन पर पड़ता है। थाने में पदस्थापित महिला पुलिसकर्मियों के लिए भी अलग से आवास की व्यवस्था नहीं है। पदस्थापित महिला पुलिस कर्मियों और पुलिस पदाधिकारियों को लाचारी में प्रखंड कार्यालय परिसर में बने प्रखंड और अंचल कर्मियों के लिए बने आवास में रहना पड़ रहा है।
वहीं थाने तक का पहुंच पथ भी खस्ता हाल में है। विधायक मद से प्रखंड मुख्यालय में कई पीसीसी पथ बनाए गए हैं या संचालित हैं, लेकिन न तो विधायक और न ही उनके नामित प्रतिनिधियों ने थाने की पहुंच पथ पर नजरें इनायत की। झारखंड सरकार द्वारा कई बार घोषणा की गई है कि पुलिस को चुस्त दुरुस्त व आधुनिकीकरण के लिए झारखंड के सभी थानों को नए संसाधनों से सुसज्जित किया जाएगा और सूचनातंत्र को मजबूत किया जाएगा। मगर मयूरहंड थाना एक दशक से ज्यादा समय बीतने के बाद भी संसाधन विहीन और मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।