चतरा संसदीय सीट गठन के 66 साल बीते, नहीं बना आजतक कोई स्थानीय संसद…

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उप संपादक, हिमांशु सिंह
मयूरहंड(चतरा)। झारखंड के बहुचर्चित चतरा संसदीय क्षेत्र का भूगोल और इतिहास चौकाने वाला है। बाहरी उम्मीदवारों के लिए चतरा संसदीय क्षेत्र चर्चित रहा है। अभी तक के परिदृष्य के अनुसार किसी भी बड़े राजनीतिक दल ने चतरा संसदीय क्षेत्र के स्थानीय को उम्मीदवार नहीं बनाया है। इस संसदीय क्षेत्र में चतरा के अलावा पलामू का पांकी एवं लातेहार जिले का लातेहार तथा मनिका विधानसभा क्षेत्र आता है। वर्ष 1957 से अबतक चतरा संसदीय क्षेत्र का सांसद बनाने का सौभाग्य चतरा के स्थानीय लोगों को नहीं मिला है। अभी तक चतरा संसदीय क्षेत्र से जितने भी सांसद निर्वाचित हुए हैं, सभी क्षेत्र के बाहर के मतदाता रहे हैं। चतरा संसदीय क्षेत्र से 1957 में पहली बार महारानी विजया राजे सांसद बनी। उनका संबंध पदमा (रामगढ़) के राजघराने से था। वह मूलतः हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की मतदाता थी। वह लगातार तीन बार चतरा से सांसद बनी। वर्ष 1971 के चुनाव में शंकरदयाल सिंह सांसद निर्वाचित हुए। वे अविभाजित बिहार के औरंगाबाद जिले के थे। वर्ष 1977 में बिहार के जहानाबाद निवासी सुखदेव प्रसाद वर्मा चुने गए। इसके बाद 1980 में गया निवासी रंजीत सिंह, 1984 में धनबाद के योगेश्वर प्रसाद योगेशे सांसद निर्वाचित हुए। लगातार दो बार 1989 और 1991 में निर्वाचित सांसद उपेंद्रनाथ वर्मा का संबंध गया के मानपूर से था। इनके बाद गया निवासी धीरेन्द्र अग्रवाल को 1996 एवं 1998 में लगातार दोबारा सांसद बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 1999 में सांसद बनने वाले नागमनी मूलतः जहानाबाद के थे। वर्ष 2004 में एक बार फिर धीरेन्द्र अग्रवाल को सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वर्ष 2009 के संसदीय आम चुनाव में चतरा के मतदाताओं ने इतिहास रचते हुए झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पलामू के डाल्टनगंज निवासी इन्दर सिंह नामधारी को मौका दिया। श्री नामधारी ने यह चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था। इसके बाद वर्ष 2014 एवं 2019 में बक्सर एवं रांची से ताल्लुक रखने वाले सुनील कुमार सिंह ने लोकसभा में प्रवेश किया। इस प्रकार चतरा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद चतरा के मतदाता नहीं रहे हैं। बाहरी उम्मीदवारों का दबदबा रहा और चतरा के निवासी यह बर्दाश्त करते आ रहे हैं। अब इंतजार है 2024 के संसदीय चुनाव का, जिसमें चतरा के मतदाता इसबार क्या गुल खिलते हैं? हालांकि विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों ने चतरा का दौरा शुरू कर दिया है। इस तरह चतरा संसदीय क्षेत्र आज भी किसी स्थानीय उम्मीदवार के लिए तरस रहा है।