झारखण्ड /गुमला–झालसा, रांची, के आदेशानुसार तथा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गुमला, संजय कुमार चांधरियावी के मार्गदर्शन में जिला स्तरीय मल्टी स्टेट होल्डर कंसल्टेशन (पोक्सो एवं जेजे एक्ट) पर कार्यशाला का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला के द्वारा जिला तथा पुलिस प्रशासन के सहयोग से व्यवहार न्यायालय गुमला में आयोजित किया गया। उक्त कार्यशाला में न्याय प्रशासन, जिला प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन द्वारा एक मंच में आकर पोक्सो अधिनियम के अंतर्गत लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण तथा पीड़ित बच्चों के पुनर्वास के लिए पीड़ित प्रतिकार प्रदान करने की व्यवस्था के संबंध में तथा सरकार के हितकारी योजनाओं जैसे शिशु, आत्मनिर्भरता, आदि, पर और जेजे एक्ट के प्रावधानों के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को लैंगिक हिंसा या अपराध का शिकार होना से बचाना है ताकि भविष्य में बच्चे देश निर्माण और समाज कल्याण में अपना योगदान दे सकें। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला, डीसी अवस्थी ए डीजे वन , संजीव भाटिया एडीजे फोर, प्रणव कुमार प्रधान मजिस्ट्रेट जेजे बोर्ड, निर्मला बरला सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला,तथा अन्य अतिथियो के साथ दीप प्रज्वलन से हुई।
मुख्य अतिथि ने बताया कि पोक्सो के संबंध पीड़िता को कभी भी खुले कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया जाता है उसके गोपनीयता को बनाए रखा जाता है और विशेष रूप से देखभालपोक्सो अधिनियम का उद्देश्य बच्चों के संरक्षण पर जोर देना है तथा समाज का यह दायित्व है की बच्चों को उचित शिक्षा और संस्कार दें ताकि वह भविष्य में अच्छे नागरिक बन सकें। उन्होंने पीड़ितों से संवेदनशील व्यवहार तथा उन्हें उचित पीड़ित प्रतिकर उपलब्ध करवाने की बात पर जोर दी ।उन्होंने आगे कहा कि कोर्ट का कार्य केवल न्याय करना नहीं है
बल्कि लोगों का कल्याण भी करना है।
एडीजे वन श्री डीसी अवस्थी ने कहा कि पोक्सो केस के अंतर्गत पीड़ित को बाल मित्र माहौल में रखना चाहिए तथा पीड़ित को मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास करना चाहिए के पुनर्वास की व्यवस्था भी करनी चाहिए साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि विक्टम कंपनसेशन के लिए आवेदन केस के विचारण के किसी भी स्टेज पर न्यायालय में आवेदन किया जा सकता है।
एडीजे फोर श्री संजीव भाटिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब विक्टिम कंपनसेशन के लिए आवेदन किया जाता है तब उसे पीड़ित के घटना के समय में क्या परिस्थितियों थी उसका भी जिक्र होना चाहिए साथ ही साथ उसकी क्या-क्या आवश्यकता थी वह भी ध्यान में रखना चाहिए।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला ,ने इस मौके पर कहा कि पोक्सो के अंतर्गत बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध एक बहुत ही गंभीर अपराध है जिसकी सजा काफी गंभीर है।
श्री प्रणव कुमार ,प्रधान मजिस्ट्रेट ,किशोर न्याय बोर्ड ,गुमला ,ने किशोर न्याय अधिनियम के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
डॉ ललिता कुमारी मिंज के द्वारा बताया गया कि पोक्सो के मामलों में तुरंत उपचार जांच और मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने का प्रावधान है ।जिसका पालन अस्पतालों में पूर्ण रूप से किया जाता है ।उन्होंने कहा कि काउंसलिंग बहुत ही महत्वपूर्ण है।
पोक्सो अपराध में जाँच में पुलिस की भूमिका पर खुशबू वर्मा, एसआई थाना गुमला, ने बताया कि घटना की सूचना में पीड़ित के लिखित या बयान पर पुलिस घटना के पास जाकर एफआईआर दर्ज कर पीड़िता का बयान महिला पुलिस द्वारा लिया जाता है ।घटना का स्थलों पर से अन्वेषण अधिकारीयों को साक्ष्य इकट्ठा करना पड़ता है। पीडिता से चाइल्ड फेन्डली एप्रोच करनी चाहिए तथा अन्वेषण को 60 दिन के अन्दर खत्म करना चाहिए। वो बताई कि पीडिता का FIR न लिखना पोक्सो एक्ट में अपराध हैं।
कार्यशाला में सभी थाने के पु०अ०नी०, अधिवक्ता गण, मेडिएटर गण,लिगल एड के विद्या निधि शर्मा, बुंदेश्वर गोप,जितेंद्र कुमार, इंदु पांडे, शंभू सिंह सदस्य अस्थाई लोक अदालत गुमला, अविनाश कुमार सुपरिटेंडेंट ऑब्जर्वेशन होम, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य,सीडब्लूसी के सदस्य, प्रकाश पांडे मनीष कुमार आदि उपस्थित