झारखण्ड गुमला- गुमला प्रशासन की पहल से झारखंड शिक्षा परियोजना के तत्वाधान में जिला स्तरीय 2 दिवसीय प्रथम पुस्तक मेले का जिले में आज शुभारंभ किया गया। सभी अधिकारियों एवं गेस्ट्स के द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत उपायुक्त श्री कर्ण सत्यार्थी के द्वारा झारखंड मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के द्वारा भेजे गए संदेश को पढ़ कर किया गया।
* मुख्यमंत्री के संदेश को उपायुक्त ने पढ़ा* जिसमें लिखा था कि “सभी गुमला वासियों को मेरी शुभकामनाएँ। मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है कि सांस्कृतिक नगरी “गुमला’ में पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। अनेक सुप्रसिद्ध साहित्यकारों को जन्म देने वाली इस पावन नगरी में साहित्य प्रेम की एक गहरी परम्परा रही है, जिसकी एक वानगी यह है कि यहाँ हमारी बहनों को अनन्य रूप से समर्पित जिले का पहला “सावित्री बाई फुले” महिला पुस्तकालय का संचालन किया जा रहा है। इतना ही नहीं जिले के सभी 12 प्रखण्डों में से 10 प्रखण्डों में प्रखण्ड स्तरीय पुस्तकालय तथा 100 से भी अधिक पंचायतों में पंचायत पुस्तकालयों के सफलतापूर्वक संचालन ने यहाँ की चिंतन परम्परा को और भी आगे वढाने का कार्य किया है।
पुस्तक गेले में ख्यातिप्राप्त लेखकों/साहित्यकारों की मौजूदगी तथा उनके विचार से निश्चित ही प्रतिभागियों के चिंतन को एक नया आयाम मिलेगा। साथ ही छोटानागपुर की समृद्ध भाषा, संस्कृति तथा कर्मठ समाज को राष्ट्रीय पटल पर पहचान मिलेगी।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सभी प्रतिभागी इसकी गंभीरता तथा
प्रशासन के इस संवेदनशील प्रयास में भागीदार बनेंगे और स्थानीय आपाओं तथा
साहित्य की एक समृद्ध परम्परा को एक नया आयाम देंगे।
*मंच पर गेस्ट्स स्पीकर्स के साथ संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन*
*झारखंड के लाइब्रेरी मैन संजय कच्छप ने किताबों को अपना दोस्त बनाने की दी सलाह*
कार्यक्रम के पहले सत्र में स्पीकर गेस्ट झारखंड के लाइब्रेरी मैन श्री संजय कच्छप द्वारा लाइब्रेरी निर्माण से संबंधित उनके योगदान के बारे में परिचर्चा की जा रही है। इस दौरान उनके साथ मंच पर श्री यदुवंश प्रणय मौजूद रहें जिनके द्वारा श्री संजय कच्छप के जीवनी एवं उनके विचारों से संबंधित प्रश्न किए गए। श्री संजय कच्छप ने बताया कि किताबे पढ़ने की प्रबल इच्छा ने उन्हें लाइब्रेरी मैन बनाया।उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में पढ़ाई के प्रति लगाव को जागृत करना ही समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति के खराब होने के बावजूद दृढ़ इच्छा ने उन्हें इस कार्य को करने के लिए प्रेरित किया। वे सभी को किताबों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करते हैं, उन्होंने कहा कि अच्छी किताबों के अध्ययन से जीवन को सकारात्मक दिशा मिलता है। उन्होंने सभी को स्कूल एवं कॉलेज के बाद पुस्तकों को अपना दोस्त बनाने की सलाह दी।
*कार्यक्रम के दूसरे सत्र में गेस्ट स्पीकर श्री महादेव टोप्पो एवं पार्वती तिर्की के बीच मंच पर हुआ संवाद*
कार्यक्रम के दूसरे सत्र पर श्री महादेव टोप्पो एवं पार्वती तिर्की द्वारा संवाद कार्यक्रम में “कविता में स्वदेशी परंपराएँ” से संबंधित विषय पर चर्चा हुई। श्री टोप्पो ने बताया कि उन्हें उनके कविता लेखन में झारखंड की परंपरा एवं सांस्कृतिक धरोहर उन्हें कविता लिखने में प्रेरित करती है। वे बताते हैं कि झारखंड संस्कृति एक मात्र ऐसी संस्कृति है जो मनुष्य वर्गो के साथ साथ जीव जंतु एवं जंगल पहाड़ों की रक्षा करने में विश्वास रखती है। इस संस्कृति को सभी तक पहुंचाने का सबसे आसान तरीका है साहित्य एवं कविताएं।
कार्यक्रम के तीसरे चरण में छूटनी महत्तों ने जिले के पुलिस अधीक्षण हरविंदर सिंह के साथ मंच साझा कर डायन बिसाही से संबंधित अपने संघर्षों को साझा किया। वे बताती हैं कि वे खुद डायन बिसाही के इस कुप्रथा का शिकार हुई थी एवं उनके गांव वालों ने उन्हें जान से मारने की साजिश रची थी। पढ़े लिखे नहीं होने के बावजूद उन्होंने अपने और अपने बच्चों की जान बचाई एवं अब वह समाज के सभी डायन प्रथा से पीड़ित महिलाओं की मदद करती है। इस कार्य हेतु उन्हें माननीय प्रधान मंत्री द्वारा पद्मश्री से भी नवाजा गया था। श्रीमती महतो ने कहा कि डायन प्रथा केवल एक जाल है महिलाओं के संपत्ति हड़पने की तथा झाड़ फूंक करने वाले बाबाओं द्वार फैलाया गया भ्रम है जिसे समझना और समाज को इसके प्रति जागरूक करना बेहद ही आवश्यक है। डायन कहने वालों को जेल भी हो सकती है इसलिए खुद भी इससे बचें एवं समाज को इस बुराई से बचाने के लिए मिल कर प्रयास करें।
*इसके पश्चात कार्यक्रम में सुश्री जेसनटा केरकेट्टा ने श्रीमती प्रतिमा के साथ मंच साझा कर अपनी बेहतरीन कविताओं का पाठ किया।जिसमें उन्होंने अपने आदिवासवासी धरिहर से जुड़े बेहतरीन कविताओं एवं उनके विसचारों से सभी को अवगत कराया।*
*जिसके पश्चात श्रीमती सकुंतला मिश्रा एवं श्री प्रेमचंद्र उरांव ने मंच साझा कर स्वदेशी भाषा के मूल्यों पर अपने विचारों को साझा किया*।
*कार्यक्रम में हजारों बच्चों की देखने को मिली भीड़*
पुस्तक मेले में जिले के विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों, आम नागरिकों एवं पाठकों ने भाग लिया, वहां विभिन्न प्रकाशकों के द्वारा 16 बुक्स स्टॉल लगाए गाएं थे।जिसमें विभिन्न संकृति के भाषाओं , पाठ्यक्रमों एवं बेहतरीन लेखकों सहित साहित्यिक पुस्तके शामिल थी। पुस्तक मेले में बच्चों में किताबों को पढ़ने की एक रुचि देखने को मिली। पुस्तक मेले में विभिन्न प्रकाशकों के द्वार स्टॉल्स लगाने के साथ मांदर कारीगरों, रागी के स्टॉल्स सहित सूचना जनसंपर्क विभाग एवं जिले में चले पुस्तकालय क्रांति से संबंधित ज्ञानवर्दी स्टॉल्स भी लगाए गाएं थे।
इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह ,उप विकास आयुक्त श्री हेमंत सती, अपर समाहर्ता श्री सुधीर कुमार गुप्ता,जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला सामाजिक सुरक्षा पदाधिकारी सह सूचना एवं एवं जनसंपर्क पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी एवं कर्मी मौजूद रहें।