*छठ व्रतियों ने गुमला जिले के विभिन्न छठ तालाबों एवं नदियों के तटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्ध्य दिया – सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते ही छठ पूजा होगा संपन्न*

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*छठ व्रतियों ने गुमला जिले के विभिन्न छठ तालाबों एवं नदियों के तटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्ध्य द

* सजें हुए सूपों में टिमटिमाते दीपक की रौशनी और पूजा सामग्रियों को छठ व्रतियों के साथ लेकर चलें लोग सूर्य देव की अराधना में श्रद्धालु*

*शनिवार को खरना प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का उपवास और सूर्य देव की अराधना में लीन हुए छठव्रती – छठी मईया के गीतों से शहर गूंज उठा*

झारखण्ड/गुमला– लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा पर गुमला जिले के विभिन्न छठ तलब एवं नदियों के तट पर जहां आज रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्ध्य दिया गया वहीं शुक्रवार को खरना प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही छठ व्रतियों का 36 घंटे तक ईष्ट देव सूर्य की उपासना और आराधना में उपवास रखकर लीन हो गए हैं यहां बताते चलें कि सोमवार को जैसे ही उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्ध्य दिया जाएगा और पूजा अर्चना कर छठ व्रतियों का 36 घंटे तक का उपवास तोड़ेंगे इस मौके पर छठ तालाबों और नदियों के तटों पर हजारों की संख्या में कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं द्वारा भी अस्ताचलगामी सूर्य एवं उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और लोक आस्था के महापर्व पर जहां भी जगह मिली अपने प्रिय सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए पहुंचे हुए होते हैं यह छठ पर्व की महत्ता को भी प्रदर्शित करता है कि बिना भेदभाव के तटों पर छठ पूजा मनाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई होती है।
छठ पूजा की महत्ता इस बात से भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है कि छठ व्रतियों को लेकर आम लोगों द्वारा साफ-सफाई अभियान शुरू कर देते हैं छठ तालाबों में और इसमें जिला प्रशासन द्वारा भी नगर परिषद के सफाईकर्मियों की भूमिका अहम् होती है वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चार दिन तक छठ पूजा को लेकर अपने ड्यूटी और कर्तव्य का निर्वाहन भी बखूबी करते हैं साथ ही छठ पूजा अनेकता को एकता के लिए भी जाना जाता है अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर आसपास के मुहल्ले और सगे संबंधी दूर-दूर से छठ पूजा को लेकर छठ व्रतियों के यहां पहुंचे हुए होते हैं और रात्रि समय ठेकुआ प्रसाद बनाने में सहयोग करने के लिए लालायित रहते हैं।