डालमिया को आवंटित नई कोल परियोजना की राह आसान नहीं, पूर्व में परियोजना आवंटित कंपनियों द्वारा सृजित समस्याओं को पाटते हुए भू-रैयतों का विश्वास हासिल करना बड़ी चुनौती

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न्यूज स्केल संवाददाता
टंडवा( चतरा): टंडवा थाना क्षेत्र में आवंटित प्रस्तावित वृंदा-सिसई कोल परियोजना के विस्तारीकरण के प्रयास में जहां अब डालमिया प्रबंधन जुटी है। वहीं प्रारंभिक दौर के बैठकों में भू-रैयतों का कड़ा प्रतिरोध कंपनी के लिए आगे की राह आसान नहीं लग रही है। आपको बता दें कि डालमिया प्रबंधन के आग्रह पर स्थानीय मुखिया निलेश ज्ञासेन ने अधिग्रहण क्षेत्र के गांवों में सभा के माध्यम से भू-रैयतों का मंतव्य जानने का प्रयास किया, तो कई जगहों में लोगों ने प्रबंधन के प्रति तीव्र आक्रोश जाहिर किया। अधिग्रहण क्षेत्र के 13 गांवों से लगभग 3200 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित परियोजना का सिर्फ 3 गांव सिसई टोला खैल्हा, कटाही मिश्रौल व किसुनपुर के लगभग 2200 एकड़ जमीन के लगभग 75 प्रतिशत भू-स्वामित्व धारकों में से अधितर ने परियोजना का विरोध किया है। उनकी नाराज़गी आकस्मिक नहीं बल्कि पिछले एक दशक पूर्व का जख्म है जो उन्हें नासूर सा चुभता है। इस दौरान तख्ती प्रदर्शन, नारेबाजी के साथ प्रतिकात्मक पुतला दहन तक की गई। वहीं जनभावनाओं का सम्मान करते हुए पंचायत प्रतिनिधियों व बुद्धिजीवियों ने भी अपना समर्थन देकर लोगों का मनोबल बढ़ाकर पूरा कदमताल करते भी नजर आए। कुल मिलाकर देखा जाए तो एक तरफ जहां लोग कोल परियोजना के स्थापना नहीं होने देने को लेकर पूरी तरह से मुखर हैं, तो दूसरी तरफ कुछ प्रगतिवादी विचारधारा के भूरैयतों की टोली अपनी शर्तों पर परियोजना का विकास होने देने के पक्ष में अपना मत देते हुए भी दिखाई देते हैं। ज्ञात हो कि इस प्रखंड में एशिया की बड़ी कोल परियोजना मगध-आम्रपाली संचालित है। वहीं सीसीएल के अधीन नए कोल परियोजनाएं संघमित्रा व चंद्रगुप्त अब शनैरू अल्प व शांत प्रतिरोधों के साथ शीघ्र अस्तित्व में आने वाले हैं। बावजूद निजी कंपनी के हांथों आवंटित वृंदा-सिसई का यह कोल परियोजना पूर्व में अभिजित, उषा मार्टिन व टाटा ने अपनी असफल जोर आजमाइश करते हुए यहां थककर बिखर चुके हैं।

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