मयूरहंड प्रखंड क्षेत्र की स्थिति मोर के समान, संभावना अनंत फिर भी पिछड़े पंक्ति में है खड़ा, राजनीतिक स्थिति कृषि प्रधान की जगह कुर्सी प्रधान

NewsScale Digital
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मयूरहंड (चतरा)। जैसे अपने पंखों के देखकर मोर नाच उठता है परंतु जैसे ही अपने पैरों पर उसकी नजर पड़ती है तो मायूस हो जाती है। ठीक उसी प्रकार जिले के मयूरहंड प्रखंड क्षेत्र के विकास की स्थिति मोर के समान बनि हुई है। ऐसा प्रखंड क्षेत्र के किसानों का कहना है। मयूरहंड को प्रखंड का दर्जा वर्ष 2008 में मिला। उस समय लोगों को अलग प्रखंड बनने से कृषि से लेकर अन्य क्षेत्रों में विकास होने की उम्मीद जगी। परंतु 27 वर्ष के खंड काल में गली नली का विकास नहीं हो पाया। जबकि प्रखंड का कुल क्षेत्रफल 133.28 किमी और 2011 जनगणना के अनुसार जनसंख्या लगभग 58,925 है। अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है। प्रखंड में किसानों के हित में सिचाई के अलावा अनेक संभावना है। क्षेत्र के चारों ओर नदी के अलावा अन्य स्थानों से नाला गुजरा हुआ है। पूरब में बड़ाकर नदी, पश्चिम में लेढईया नदि, करकरा नदी के अलावे नाला गुजरा हुआ है। पूर्व की सरकारें और जनप्रतिनिधियों ने उक्त नदियों एवं नालों में चेक डैम के अलावा लिफ्ट एरिगेशन सिस्टम से किसानों के लिए सिचाई की व्यवस्था की थी। जिससे किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुचारू रूप से होती थी। लेकिन उसके बाद सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से सिचाई की उपयुक्त सभी संसाधन उचित रख-रखाव के अभाव में या तो ध्वस्त हो चुके हैं या होने वाला है। जिसके कारण किसानों को सिचाई की व्यवस्था वर्तमान समय में चौपट हो गई है। उक्त सभी सिचाई परियोजनाओं को सुदृढ़ करने की नितांत आवश्यकता है। सरकार के माध्यम से क्षेत्र में प्रति वर्ष विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अरबों रुपये खर्च केवल गली, नली, सडकों के अलावा अन्य क्षेत्रों में खर्च किए जा रहे हैं। फिर भी प्रखंड पिछले पायदान पर खड़ा है। जनप्रतिनिधियों की स्थिति क्षेत्र को कृषि प्रधान बनाने से ज्यादा कुर्सी प्रधान में दिलचस्पी है।

मजेदार बात यह है कि नीति आयोग द्वारा चिन्हित पिछड़े प्रखंड में सम्पूर्णता अभियान के दौरान क्षेत्र का भ्रमण राज्यपाल एवं केंद्रीय मंत्री से लेकर जिले के निवर्तमान एवं वर्तमान उपयुक्त कर चुके हैं। प्रखंड में उपरोक्त सभी सिंचाई सम्भावनाएं से आगंतुकों को अवगत कराया गया। जिसमें आश्वासन भी दिया गया। परंतु आजतक कोई कदम सरकार एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा नहीं उठाया गया। प्रखंड में खुशहाली लाने के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को ईमानदारी पूर्वक कृषि क्षेत्र में सजग होने की जरूरत है।

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