दंतेवाड़ा नक्सली हमले में ये हुए शहीद, 2008 में हुआ था डीआरजी फोर्स का गठन, 7 लाख के इनामी को पकड़ने निकली थी पुलिस टीम

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छत्तीसगढ़/रायपुर। दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत अरनपुर-समेली के बीच नक्सलीयों द्वारा किए गए आईडी ब्लास्ट के बाद सड़क पर बड़ा व गहरा गड्‌ढा हो गया। जिसमें 10 पुलिसकर्मी व एक वाहन चालक शहीद हो गए। शहीद जवान डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड यूनिट के थे। टीम में शामिल पुलिसकर्मी मंगलवार रात हार्डकोर नक्सली कमांडर और 7 लाख के इनामी जगदीश की सूचना पर निकले थे। बुधवार सुबह जहां पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इसी दौरान लौट रहे जवानों के वाहन को धमाके से उड़ा दिया गया।

ये हुए शहीद, सभी के पार्थिव शरीर पोस्टमार्टम के लिए लाया गया हॉस्पिटल

नक्सली/उग्रवादी हमले में प्रधान आरक्षक जोगा सोढ़ी, मुन्ना राम कड़ती, संतोष तामो, नव आरक्षक दुल्गो मण्डावी, लखमू मरकाम, नव आरक्षक जोगा कवासी, नव आरक्षक हरिराम मण्डावी, गोपनीय सैनिक राजू राम करटम, जयराम पोड़ियाम जगदीश कवासी और गाड़ी के ड्राइवर धनीराम यादव शहीद हुए हैं। शहीदों के पार्थिव शरीर को पॉलिथीन में रखकर पोस्टमॉर्टम के लिए हॉस्पिटल लाया गया।

डीआरजी का 2008 में हुआ था गठन 

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को कमजारे करने हेतू डीआरजी का गठन 2008 में किया गया था। डीआरजी फोर्स को सबसे पहले प्रदेश अति उग्रवाद प्रभावित कांकेर और नारायणपुर में तैनात किया गया। उसके बाद 2013 में बीजापुर और बस्तर में। फिर 2014 में सुकमा और कोंडागांव तथा 2015 में दंतेवाड़ा में तैनात किया गया था।

छत्तीसगढ के इन जिलों में नक्सलसी हैं अधिक सक्रिय

सरकार द्वारा 2021 में जारी आंकड़ो के अनुसार छत्तीसगढ़ के 8 जिले सर्वााधिक नक्सल प्रभावित हैं। जिसमें बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगांव और कोंडागांव शामिल है। वहीं गृह मंत्रालय ने लोकसभा में अप्रैल 2021 में बताया था कि बीते 10 साल 2011 से 2020 तक छत्तीसगढ़ में 3 हजार 722 नक्सली हमले हुए। जिसमें हमने 489 जवानों को खो दिया।