
हजारीबाग के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। वह रांची के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में रह रहेे थे। उनपर अपनी पत्नी को जिंदा जलाकर मारने का आरोप है। यह केवल एक गिरफ्तारी नहीं थी, बल्कि एक टूटते, अविश्वास और इंसाफ की लड़ाई की कड़वी कहानी थी। रविवार शाम हजारीबाग के लोहसिंघना के थानेदार संदीप कुमार और उनकी टीम ने उपरोक्त कार्रवाई की। ज्ञात हो कि बीते 31 जनवरी को कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, तब से ही कयास लगाये जा रहे थे कि पूर्व एसडीओ का जेल जाना तय है। इस गिरफ्तारी के पीछे की कहानी कहीं अधिक भयावह और पीड़ादायक है।
26 दिसंबर की वह काली सुबह किरण अभी धरती पर पड़ी भी नहीं थी कि झील रोड के सरकारी आवास में खामोशी पसरी हुई थी, लेकिन उस खामोशी के बीच एक दर्द भरी चीख उठीकृऐसी चीख, जो दीवारों से टकराई, पर किसी ने उसे नहीं सुना।सुबह 6.30 से 7 बजे के बीच हजारीबाग के पूर्व ैक्व् की पत्नी अनीता देवी आग की लपटों में घिरी हुई थीं। जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक उनका शरीर बुरी तरह झुलस चुका था। लाल साड़ी में लिपटी वह औरत, जो कभी इसी घर की मालकिन थी, अब धधकती लपटों के बीच जिंदगी की भीख मांग रही थी। बोकारो से लेकर रांची तक इलाज चला, लेकिन 28 दिसंबर की सुबह अनीता ने दम तोड़ दिया। इस मौत के साथ ही एक प्यार भरी शादी की दर्दनाक हकीकत सामने आई।
पूर्व एसडीओ जो कभी जिले का बड़ा अफसर था, जिसकी गाड़ी के आगे सड़कें खाली हो जाया करती थीं, वह अब पुलिस की जीप में बैठा था। उसकी कलाई पर हथकड़ी चमक रही थी, जैसे इंसाफ का पहला उजाला हो। लेकिन क्या यह उजाला अनीता देवी की बुझी ज़िंदगी में रोशनी ला पायेगा? क्या यह गिरफ्तारी उन आंसूओं का जवाब होगी, जो लोहसिंघना थाना के सामने धरने पर बैठी उसकी बूढ़ी माँ की आँखों से बरस रहे थे?