
प्रतापपुर(चतरा)। देश की आजादी के लगभग 75 साल हो गये व चतरा जिले के स्थापना हुए भी 34 वर्ष बीत गए। लेकिन चतरा वासियों के लिए आज भी रेल मात्र कल्पना ह। कई पीढी गुजर गये चतरा मे रेल आने की कहानी सुनते-सुनते, अब तो नानी-दादी की कहानी जैसी चतरा के रेल की कहानी भी पुरानी हो चुकी है। अब तो इस कहानी से चतरा वासियों का विश्वास तो खत्म हो ही चुका है मन भी उब चुका है। बताते चलें कि चतरा जिले की स्थापना 1991में हजारीबाग से कट हुई थी। उसी वक्त कोडरमा, गिरिडीह व बाद में रामगढ को भी जिला का दर्जा दिया गया था, इन तीन जिलों मे रेलवे से आवागमन की बेहतर सुविधा उपलब्ध हैं। वही चतरा आज भी रेल की सुविधा के लिए ललक रहा है, लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए गया व कोडरमा जाना पडता है जिसकी दुरी लगभग सौ किलोमीटर है। रेल की यात्रा सबसे शुलभ व कम खर्चीला होता है। अन्य वाहनों की अपेक्षा कम खर्च, सुरक्षित तथा आरामदेह यात्रा रेल यात्रा माना जाता है, इससे चतरावासी अबतक बंचित हैं, चतरा में रेल की सुविधा हो जाता तो यात्रा आसान होता हीं। इस क्षेत्र के हजारो लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते, वर्ष 2014 से केन्द्र मे चतरा संसदीय क्षेत्र के सहयोग से भाजपा की सरकार है वावजुद यहां रेलवे की सुविधा नही मिलना दुर्भाग्य की बात है।