अंगुली में अंगूठी अंगूठी में नगीना, तेरे बिन एक भी दिन मुश्किल हो गया जीना….। डोभा में डोभा डोभे में कमाना, डोभा बन गया कमीशन खाना

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मयूरहंड(चतरा)। मयूरहंड प्रखंड में आए दिन किसी न किसी पंचयात का दौरा किया जा रहा है। वह भी कहीं दिन के उजाले में तो कहीं देर शाम के अंधेरे में। अब सवाल है दिन में डोभा में लेबर तो मिलता नही। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं रात में यहां मजदूर से कार्य तो नही किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो जहां एक और पुराने डोभा में ही डोभा बनाया जा रहा है

 

और उसी में पैसे की निकासी कर ली जा रही है। क्या ऐसे में आदेश के बाद भी रुपए के बदौलत रोजगार सेवक व पंचयात सचिव द्वारा बिना एमबी फील किए जा रहे है।और डिजिटल चलाया जा रहा है। मयूरहंड प्रखंड में डोभा मनरेगा कर्मीयों के लिए चांदी काटने के समान हो गया है। त्यौहार हो या नया साल कमीशन चाहिए बार-बार (माल)। नहीं तो कर देंगे बेहाल।

कई पंचयात ऐसे है जंहा से चढ़ावा नही मिलता वंहा न ही डोभा हो पाया न ही कूप निर्माण। ऐसे कार्यों से यहां एक मसहुर गाना अंगुली में अंगूठी अंगूठी में नगीना, तेरे बिन एक भी दिन मुश्किल हो गया जीना…..। डोभा में डोभा डोभे में कमाना, डोभा बन गया कमीशन खाना चरीतारर्थ हो रहा है। अब देखना है कि जांच होगा की ठंढे बसते में डाल कर रफा दफा हो जाएगा।