
रांची। झारखंड में फर्जी मनरेगा योजना में मनी लॉन्ड्रिंग की आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को 28 महीने बाद जमानत मिल ही गई। प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट ने शनिवार को उनकी जमानत याचिका मंजूर की। पूजा सिंघल की जमानत याचिका पर शुक्रवार को भी पीएमएलए के स्पेशल जज पीके शर्मा की अदालत में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि सुनवाई शनिवार को भी जारी रहेगी। शनिवार को कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पूजा सिंघल को जमानत देने का फैसला किया। पूजा सिंघल की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने मामले की पैरवी की। पिछली सुनवाई में जेल अधीक्षक ने कोर्ट को बताया था कि पूजा सिंघल 28 महीने से जेल में हैं। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 11 मई, 2022 को पूछताछ के बाद पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था। उपरोक्त मामले में ईडी कोर्ट ने बिरसा मुंडा होटवार सेंट्रल जेल के अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी थी। नए बीएनएस अधिनियम का हवाला देते हुए, ईडी ने पूजा सिंघल की ओर से जमानत की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया, जमानत के लिए बीएनएस की धारा 479 का इस्तेमाल किया गया।
बीएनएसएस के प्रावधान के तहत मिली राहत
भारत नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस 2023) के एक प्रावधान के तहत पूजा सिंघल को जमानत मिली है। इस कानून में प्रावधान है कि अगर कोई आरोपी लंबे समय से जेल में बंद है और उसने उस मामले में दी जाने वाली कुल सजा की एक तिहाई अवधि जेल में बिता ली है, तो उसे जमानत दी जा सकती है।
पूजा सिंघल झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी हैं और निलंबन से पहले पूजा सिंघल के पास उद्योग सचिव और खान सचिव का प्रभार था। ये झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी ) की चेयरमैन भी रह चुकी हैं। वहीं बीजेपी सरकार में पूजा सिंघल कृषि सचिव के पद पर तैनात थीं। जबकी मनरेगा घोटाले के समय वो खूंटी में उपायुक्त के पद पर तैनात थीं।
6 मई 2022 को ईडी ने इनके ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी टीम मनरेगा घोटाले समेत कई अन्य की जांच कर रही है। छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल के घर से ईडी ने कई अहम दस्तावेज बरामद किए थे। वहीं 11 मई 2022 को ईडी ने पूछताछ के बाद पूजा सिंघल को गिरफ्तार कर लिया था और तब से वह जेल में हैं।