न्यूज स्केल संवाददाता
मयूरहंड (चतरा)। जिले के मयूरहंड प्रखंड को वर्ष 2018 में ही जिला प्रशासन द्वारा खुले में शौच मुक्त ओडिएफ घोषित कर दी गई है। परंतु जमीनी हकीकत है कि आज भी अधिकांश आबादी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं। वहीं जिला प्रशासन कागजों पर प्रखंड ओडिएफ घोषित कर खुश है। भुगतान आम आवाम गरीब लोगों को पड रहा है। जब गरीब के घरों में शौचालय नहीं है तो सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय निर्माण होना मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने के बराबर होगा। प्रखंड मुख्यालय में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक एवं करमा चौक में भारतीय स्टेट बैंक की शाखा स्थापित है। जहां नित्य दिन प्रखंड क्षेत्र से बुजुर्ग व महिला-पुरुष बैंक के कार्याे से पहुचते हैं। पर उक्त दोनों स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय नहीं रहने से खासकर महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय निर्माण की मांग प्रखंड वासियों द्वारा लगतार की जा रही है। बावजूद जिला प्रशासन के साथ प्रखंड प्रशासन एवं जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान आकर्षित नही होना उनकी कथनी व करनी को दर्शाता है। इतना ही नहीं मयूरहंड को आकांक्षी प्रखंड चयनित किया गया है। जसमें कई तरह के कार्यक्रम चलाया गए, जो फोटो खिंचवाने व कागजों में ही सिमट कर गया। बावजूद नीति आयोग द्वारा सम्पूर्णता अभियान के तहत मयूरहंड प्रखंड में चलाए जा रहे छः थीम जिसमें स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया गया है।
ओडिएफ घोषित प्रखंड का नजारा, खुले में शौच करने को मजबूर हैं लोग, आकांक्षी प्रखंड घोषित होने के बाद भी नहीं सुधर पाया हालात, केवल कागजों पर ही बेहतर प्रदर्शन करने के लिए मिला सम्मान
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