न्यूज स्केल डेस्क
रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के साथ झारखंड में 24 सालों का रिकॉर्ड टूरा और हेमंत सोरेन की सरकार हुई वापसी। दोनो चरणों के मतदान के बाद 3 दिन पहले भाजापा के पद्रेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांड़ी ने एनडीए की वापसी की घोषणा की थी। जबकी परिणाम उलट रहा। भाजपा की पूर्व से भी कम हुई सिटें। इस चुनाव में जितरह से भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी थी। वहीं हेमंत सोरे के साथ कलपना सोरेन ने चुनावी सभा कर सभी को मात देने में सफल रहे।
झारखंड में टूटी 24 वर्ष की परंपरा, हेमंत सोरेन की हुई वापसी
झारखंड के निर्माण से लेकर अब तक, 24 साल की परंपरा टूट झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में टूट गई। ज्ञात हो कि झारखंड के 24 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार बनी हो। मगर इस बार ऐसा हुआ, सरकार पुनः वापसी हुई।
कल्पना का झारखंड में चला जादू, मालामाल हुए मंईयां के आशीर्वाद से हेमंत
एक ही नारा, हेमंत दोबारा, झारखंड के विधानसभा चुनाव में जेएमएम की ओर से दिया गया यह स्लोगन सच के तौर पर साकार हो गया है। हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले चार दलों के गठबंधन ने झारखंड की सत्ता में दो ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना दिया है। पहला कि झारखंड के 24 वर्षों के इतिहास में इसके पहले किसी पार्टी या गठबंधन की सरकार दूसरे टर्म में वापसी नहीं हुई थी। तो दूसरा रिकॉर्ड यह रहा कि किसी गठबंधन ने आज तक एक साथ 50 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज नहीं की थी।
शनिवार शाम पांच बजे तक चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, जेएमएम-कांग्रेस-राजद-सीपीआई एमएल का गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की करीब 55 सीटों पर जीत दर्ज करने के करीब थी। इस रिकॉर्ड जीत में हेमंत सोरेन सरकार की मंईयां सम्मान योजना को सबसे बड़ा गेम चेंजर माना जा रहा है। यह योजना अगस्त में लॉन्च हुई थी। इसके तहत 18 से 50 साल की उम्र तक की 57 लाख महिलाओं के खाते में हर महीने एक-एक हजार रुपये की राशि भेजी जा रही है। योजना जबरदस्त लोकप्रिय हुई और झारखंड की ‘मंईयां (बहनों) ने हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार को इस एक हजार की राशि के बदले में वोटों से मालामाल कर दिया।
महिलाओं ने रही अहम भूमिका
राज्य की 81 में से 68 विधानसभा सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया। इस चुनाव में कुल 1 करोड़ 76 लाख 81 हजार सात (1,76,81,007) लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में 5 लाख 51 हजार 797 (5,51,797) ज्यादा रही। महिला वोटरों की यह तादाद इस बात की तस्दीक करती है कि मंईयां सम्मान योजना ने इस चुनाव में कैसा जादू किया है।
हेमंत सोरेन को भी इस जादू का अहसास था। यही कारण रहा कि 20 नवंबर को आखिरी दौर के मतदान के बाद सोशल मीडिया एक्स पर मंईयां के प्रति विशेष तौर पर आभार जताया था। उन्होंने लिखा था, बुजुर्ग, युवा, श्रमिक, महिला, किसान सभी ने उत्साह और उमंग के साथ लोकतंत्र के इस महापर्व में अपना अभूतपूर्व आशीर्वाद दिया। सभी ने, खासकर, राज्य की आधी आबादी हमारी मंईयां ने बढ़-चढ़कर अपने हक-अधिकार, मान और सम्मान के लिए ऐतिहासिक रूप से झामुमो और इंडिया गठबंधन को अपना असीम आशीर्वाद दिया।
ऐसेे लुभाया मतदाताओं को
इसके अलावा करीब 37 लाख बिजली के बकायेदारों का बिल माफ करने और किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफी जैसे निर्णयों का भी विशेष असर रहा। इन निर्णयों से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सबसे ज्यादा लाभान्वित हुए थे और इसी का असर रहा कि गांवों में इस बार अब तक की सर्वाधिक मतदान का रिकॉर्ड बना।
हेमंत सोरेन की दोबारा सत्ता में वापसी की पटकथा में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन बेहद अहम साबित हुईं। उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन के स्टार प्रचारक के तौर पर सबसे अधिक करीब 105 चुनावी सभाएं कीं। लोगों से सीधे संवाद करने की उनकी अदा खूब पसंद की गई। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा की पहली नेता हैं, जिनकी शहरी इलाकों में भी जबरदस्त अपील रही। अन्यथा, झामुमो को इसके पहले गांवों की पार्टी के तौर पर देखा जाता रहा है।
कल्पना ने इसी वर्ष जनवरी में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद घर की देहरी लांघ कर राजनीति में कदम रखा था और देखते-देखते वह धूमकेतु की तरह छा गईं। लोग उन्हें राजनीति में विपत्ति की उत्पत्ति मानते हैं। हेमंत सोरेन के जेल जाने से आदिवासियों में जो स्वाभाविक तौर पर गुस्सा उभरा था, उसका असर लोकसभा चुनाव के बाद इस चुनाव में भी बरकरार रहा। भारतीय जनता पार्टी से जो आदिवासियों का जो तबका छिटका था, उसे समेटने में वह नाकाम रही।