बीजेपी का गढ़ बचा पाएंगे भाजपा उम्मीदवार? जेएमएम ने बनाई है खास रणनीति, पढ़े आलेख…

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न्यूज स्केल उप संपादक हिमासु सिंह
चतरा। जिले की सिमरिया विधानसभा सीट पर 2024 में बीजेपी और जेएमएम के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार दिखाई पड़ रहा है। वर्ष 2019 में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार जेएमएम ने मनोज चंद्रा को मैदान में उतारकर नई रणनीति बनाई है। हालांकि आजसू के साथ गठबंधन से बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद भी है। झारखंड में चतरा जिले के सिमरिया विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है, लेकिन अब यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बीजेपी को घेरने की पुख्ता रणनीति तैयार की है।

वर्ष 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार किशुन दास को आजसू के मनोज चंद्रा ने कड़ी टक्कर दी थी, परंतु इस बार श्री चंद्रा के सहारे जेएमएम ने बीजेपी के किले को ध्वस्त करने की रणनीति बनाई है। हलांकी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू के बीच गठबंधन नहीं हो पाई थी। लेकिन इस बार के चुनाव में तालमेल लगभग तय है। ऐसे में सिटिंग सीट होने के कारण बीजेपी का सिमरिया सीट पर दावा मजबूत है, हालांकि दूसरे स्थान पर रहने के कारण आजसू की जगह किसी अन्य सीट देने का दबाव बीजेपी पर बना रही है। आजसू उम्मीदवार खड़े नहीं होने से वोटों का बिखराव नहीं होगा, जिससे बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद है।

जेएमएम उम्मीदवार के रूप में मनोज चंद्रा होंगे मैदान में

दूसरी तरफ वर्ष 2023 में ही मनोज चंद्रा आजसू छोड़ कर जेएमएम में शामिल होने के बाद से वो लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहीं सिमरिया विधानसभा सीट कांग्रेस और आरजेडी की कोई खास मजबूत दावेदारी भी नहीं है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि मनोज चंद्रा जेएमएम टिकट पर सिमरिया विधानसभा सीट से इंडिया अलायंस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में होंगे। ऐसे में वर्ष 2024 में चतरा लोकसभा सीट के सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को बड़ी बढ़त हासिल हुई। लोकसभा इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी काली चरण सिंह को 1.40 लाख वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के एन त्रिपाठी को 66 हजार मतों से ही संतोष करना पड़ा था। दुसरी ओर 2019 के विधानसभा चुनाव में किशुन दास ने भाजपा के 12 वर्षों का वनवास तोड़ा था। इससे पहले सिमरिया सीट पर बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के उम्मीदवार ने 2009 और 2014 में जीत हासिल की थी। 2009 में झाविमो के जयप्रकाश भोक्ता ने जीत हासिल की, जबकि 2014 में गणेश गंझू को सफलता मिली।