श्रीमद् भागवत कथा में शिव-पार्वती विवाह का वर्णन सुन भावुक हुए लोग

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न्यूज स्केल संवाददाता
हंटरगंज(चतरा)। दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर हंटरगंज प्रखंड के पाण्डेयपुरा में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचिका ’बाल व्यास देवी स्वाती एवं सहायक बाल व्यास देवी प्रगति ने शिव विवाह की प्रसंग सुनाई। प्रसंग में कहा गया कि यह पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री होने पर पार्वती के रुप में जन्म लिया। पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। इसके बाद सारी प्रक्रिया शुरु तो हो गई, लेकिन शिव अब भी सती के विरह में ही रहे। ऐसे में शिव को पार्वती के प्रति अनुरक्त करने कामदेव को उनके पास भेजा गया, लेकिन वे भी शिव को विचलित नहीं कर सके और उनकी क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद वे कैलाश पर्वत चले गए। तीन हजार सालों तक उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ। कथा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती के पात्रों का विवाह कराया गया। विवाह में सारे बाराती बने और खुशियां मनाई। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते-गाते हुए शिवजी बारात भी निकली। जिसका भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया और विधि-विधान पूर्वक विवाह सम्पन्न हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत पर खूब झूमी और विवाह की रस्म पूरी हुई। महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया।