न्यूज स्केल संवाददाता
चतरा/गिद्धौर/पत्थलगड़ा। बुधवार को जिले में माताओं ने अपने पुत्र के आरोग्य और दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका का निराजल व्रत रखा। घरों से लेकर मंदिरों तक जीमूतवाहन की पूजा सुबह से होती रही। व्रती महिलाओं ने कथा का श्रवण किया। संतान की संख्यानुसार सोने या चांदी की जीतिया धारण कर व्रत के अनुष्ठान पूरे किए और दान-पुण्य भी किया। श्रद्धालुओं ने मां लक्ष्मी के लिए व्रत रखकर पूजा की। आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का पर्व मनाया जाता है। पंचाग के अनुसार अष्टमी तिथि मंगलवार को दिन में 12ः40 बजे लग गई और 25 सितंबर को दिन में 12ः11 बजे तक रही। इसलिए उदया तिथि में 25 सितंबर को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा गया। महिलाओं ने दिनभर निराजल व्रत रखा और स्नान ध्यान कर शुभ मुहूर्त में जीमूतवाहन की पूजा की और कथा सुना। सोने व चांदी के बने जितिया की पूजा कर गले में धारण किया। 24 घंटे निराजल व्रत रखने के बाद अगले दिन 26 सितंबर को पूजन कर पारण करेंगी। इससे पूर्व महिलाएं बीते मंगलवार को नहाए खाए के साथ वर्त प्रारंभ किया था।