श्वेत क्रांति की वाहक बन अपने गांव की आइडियल बनी गीता देवी….

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श्वेत क्रांति की वाहक बन अपने गांव की आइडियल बनी गीता देवी….

लोहरदगाः कभी हड़िया-दारू बेच कर किसी तरह गुजर-बसर चलाने वाली गीता देवी आज श्वेत क्रांति की वाहक बन अपने गांव की आइडियल बन गई है। लोहरदगा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गते हेसल पंचायत की कुर्से गांव निवासी गीता देवी वर्ष 2017 में महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और फुलो-झानो आशीर्वाद योजना का लाभुक बन ऋण लेने के बाद एक गाय खरीद कर दूध बेचने का कार्य करने लगीं। अब वह प्रतिमाह 12-15 हजार रुपये आसानी से कमा लेती हैं। गीता देवी बताती हैं कि उनके पास खेती योग्य भूमि काफी कम है। जिसका कुछ खास लाभ उन्हें नहीं मिल पाता था। लेकिन आय का कोई साधन नहीं होने की वजह से कोई न कोई सहारा चाहिए था। ऐसे में हंड़िया-दारू निर्माण व बिक्री करने वाली महिलाओं के संपर्क में आकर हंड़िया-दारू बेचने का काम करने लगी। इससे ना सिर्फ अपराधबोध होता था बल्कि सामाजिक रूप से बहिष्कृत सी हो गयी थी। उसके परिवार को समाज के लोग हेय दृष्टि से देखते थे। गीता ने इस पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती थी और समाज के साथ चलने की ठानी। अंततः वे सराईत आजीविका सखी मंडल से जुड़ी और इसके अंतर्गत ऋण प्राप्त करने की जानकारी प्राप्त की। इसी दौरान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के द्वारा फुलो-झानो आशीर्वाद योजना के अंतर्गत किये जा रहे आर्थिक सहयोग के बारे जानने का मौका मिला और इसकी लाभुक बनीं। आज गीता का जीवन बदल गया है। वे अपनी मेहनत व लग्न से परिवार का भ्रण पोषण कर रही हैं। उसके परिवार में पति के अलावा चार बच्चे और सास-ससुर हैं। जिनके लालन-पालन में अब आर्थिक तंगी आड़े नहीं आ रही है।