Wednesday, October 23, 2024

मध्याह्न भोजन के नाम पर उप्रवि मोहनपुर में हो रही खानापूर्ति, बच्चों की थाली से अंडा गायब, जर्ज़र भवन में बच्चे पढ़ने को मजबूर, विकास फण्ड की राशि सचीव ने कर लिया गटक नारायण

न्यूज स्केल संवाददाता
कुंदा(चतरा)। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत गंव-गांव में स्कूल खुलवाया गया एवं बच्चे कुपोषण का शिकार न हो, जिसके लिए मध्याह्न भोजन में मेंन्यु के अनुसार प्रत्येक दिन अलग-अलग भोजन देने का प्रावधान किया गया। सप्ताह में दो दिन सोमवार एवं शुक्रवार को बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडा देना है। लेकिन कुंदा प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मोहनपुर में शुक्रवार को मेंन्यु के अनुसार अंडा न देकर जैसे तैसे दाल भात खिलाया गया। बच्चों की माने तो ऐसा कुछ एक दिन ही नहीं, ये कारनामा विद्यालय में हमेशा होता है। वहीं भोजन गैस से न बनाकर लकड़ी के चूल्हे से पर जाता है। लकड़ी की धुआँ से पूरा किचन की दीवारे काली हो गई हैं। रसोईयां से पूछे जाने पर बताई कि बहुत दिनों से गैस नहीं भराया जा रहा हैं। जो कुछ व्यवस्था मिलता हैं किसी प्रकार धुआं में ही रहकर बनाना पड़ता हैं। वहीं स्कूल में प्रबंधन समिति का चयन तो हुआ है लेकिन कोई भी स्कूल नहीं पहुंचते हैं। संयोजीका से दूरभाष पर बात की गई तो बताया कि सचिव मुझे कोई जिम्मेदारी देते ही नहीं हैं। वे खुद सब कुछ अपने मनमानी ढंग से करते हैं। संयोजीका का चयन हुए तीन वर्ष से ज्यादा हो गया है, लेकिन कभी भी मुझसे कुछ पूछा नहीं जाता, न ही बोलने पर जिम्मेदारी दी गई। साथ ही जर्ज़र भवन में बच्चों को बैठना पड़ता हैं। भवन की जो दुर्दशा है, कभी भी बच्चों के साथ कोई बड़ा अनहोनी हो सकती हैं। जबकी प्रति वर्ष सरकार द्वारा स्कूल मरम्मती के लिए आने वाले विकास फण्ड की राशि कागजो में ही सिमट कर रह जाती हैं। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 की राशि का कोई अता पता भी नहीं हैं और 2024-25 की भाउचर भी विभाग द्वारा मिलने की तैयारी हो चुकी हैं। अध्यक्ष कमलेश यादव से पूछे जाने पर बताया कि मुझे इसके बारे में कुछ पता ही नहीं हैं। विकास फण्ड में कितना पैसा आया और क्या कार्य किया गया। वहीं सचिव विजय कुमार यादव ने बताया कि कभी विशेष प्रस्थिति के कारण मेंन्यु के अनुसार भोजन नहीं मिलता हैं। संजोजीका नहीं आती हैं तो मुझे ही सब कुछ करना पड़ता हैं। मेरे स्कूल में नामांकन 55 बच्चों की हैं और मध्याह्न भोजन के लिए राशि कम मिलती है, इसीलिए कभी कभी मेंन्यु के अनुसार भोजन नहीं बन पाता हैं। लेकिन हमेशा मेंन्यु के अनुसार ही भोजन मिलता है। आखिर इसमें कौन कितना दोषी है, ये तो जांच की विषय हैं। इस प्रकार प्रखंड क्षेत्र में संचालित अन्य कई विद्यालय हैं, जिसमे यही सब कुछ होता हैं। आखिर किसके इशारों पर इतना कुछ होता हैं और विभाग के लोग चौन की नींद सोये रहते हैं।

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