न्यूज स्केल संवाददाता
मयूरहंड (चतरा)। जिले के मयूरहंड प्रखंड में बच्चों के भविष्य से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। फिर भी विभाग के जिम्मेदार पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए हैं। धात्रि महिलाओं के साथ बच्चों को कुपोषण से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से पौष्टिक आहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराने के साथ तीन से पांच वर्ष के बच्चों को पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। इसे सुचारू संचालन के लिए आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका की नियुक्ति की गई है। साथ ही इसके देख रेख व निगरानी के लिए परियोजना स्तर पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के साथ सुपरवाइजर की नियुक्ति की गई है। ताकि बच्चों को कुपोषण से बचाव के साथ गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध हो सके। परंतु विभागीय निष्क्रियता के कारण प्रखंड क्षेत्र में अधिकांश ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिसमें नामांकन के अनुरुप बच्चे उपस्थित तो नही होते हैं, पर रजिस्टर में उपस्थिति दिखाकर सामग्री का किया जा रहा उठाव। ऐसे में ना तो बच्चे कुपोषण से बच रहे और ना ही शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि आज भी अनुसूचित जाति टोलों में अधिकांश बच्चे कुपोषण के शिकार होने के साथ शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं। जिसका सारा श्रेय जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों को जाता है। सारी हकीकत जानने के बाद भी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की छुट्ट दिया जा रहा है। केवल स्लोगन भर रह गया है कि बच्चे कल के भविष्य हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकन के अनुरुप बच्चे नहीं होते उपस्थित, रजिस्टर में दिखा कर किया जा रहा सामग्री का उपयोग, अनुसूचित जाति टोलों के अधिकांश बच्चे हो रहे कुपोषण के शिकार, जिम्मेदार बन बैठे हैं मूकदर्शक
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