राज्य सरकार की पहल पर सभी श्रमिकों के 3 महीने के बकाए पारिश्रमिक का कंपनी ने किया भुगतान, भारत वापसी के लिए हवाई टिकट की भी व्यवस्था की
न्यूज स्केल डेस्क
रांची/गिरिडीह। अफ्रीक के कैमरून में फंसे झारखंड के 27 प्रवासी मजदूर अपने वतन वापस लज्ञैट गए हैं। सभी प्रवासी श्रमिकों ने 24 जुलाई के सुबह झारखंड में कदम रखा। मजदूर बुधवार सुबह मुंबई मेल ट्रेन 12322 से पारसनाथ स्टेशन पहुंचे। जहां जिला प्रशासन ने सभी श्रमीकों का स्वागत किया। वहीं झारखंड लौटने पर सभी मजदूरों के चेहरों पर खुशी दीखी और सीएम हेमंत सोरेन का आभार व्यक्त किया। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी मजदूरों से वीडियो कॉल के जरिये बात की और कहा कि अफ्रीका के कैमरून में फंसे झारखण्ड के अपने 27 लोगों की परेशानियों के बारे में जानकारी मिली थी। जानकारी मिलने के बाद झारखण्ड सरकार द्वारा पहल कर उन्हें लगभग कुल 30 लाख बकाया राशि का भुगतान कराया गया और राज्य वापस लाया गया।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश एवं श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग की त्वरित पहल पर दक्षिण अफ्रीका के कैमरून के याउंडे में विनायक कंस्ट्रक्शन,फेस जेंडरमेरी, अप्रेस ऑडिटोरियम और जीन पॉल टू मबांकलो कंपनी में कार्यरत झारखंड के 27 श्रमिकों की आज सवेरे सुरक्षित अपने घर वापसी हो गई। मंत्री श्री सत्यानंद भोक्ता, मंत्री श्री बैद्यनाथ राम, मंत्री श्रीमती बेबी देवी, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन और विधायक श्री सुदिव्य कुमार सोनू ने श्रमिकों के आज गिरिडीह पहुंचने पर उनका स्वागत किया। उन्होंने श्रमिकों से बात कर उनकी पूरी व्यथा को जाना। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने भी मोबाइल की जरिए श्रमिकों से संवाद किया और उन्हें राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग मदद करने का आश्वासन दिया। श्रमिकों ने विकट परिस्थितियों में दक्षिण अफ्रीका से वापस अपने घर झारखंड लौटने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए पहल को लेकर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।
अफ्रीका के कैमरून में फंसे झारखण्ड के अपने 27 लोगों की परेशानियों के बारे में जानकारी मिली थी, जिसके पश्चात झारखण्ड सरकार द्वारा पहल कर उन्हें लगभग कुल 30 लाख की बकाया राशि का भुगतान कराया गया और राज्य वापस लाया गया।
आज गिरिडीह में साथी मंत्रियों और गिरिडीह तथा गांडेय विधायक एवं… pic.twitter.com/sAs5842id5— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 24, 2024
मुख्यमंत्री ने गिरिडीह में श्रमिकों से बात करते हुए उन्हें 25-25 हजार की सहायता राशि प्रदान की। इस दौरान गांडेय विधायक कल्पना सोरेन भी श्रमिकों के साथ मौजूद थीं। सीएम ने सभी श्रमिकों को हमेशा राज्य सरकार के संपर्क में रहने के कहा।
यह है पूरा मामला
दक्षिण अफ्रीका में फंसे 27 श्रमिकों में बोकारो के 18, गिरिडीह के 4 और हजारीबाग-5 श्रमिक हैं। ये सभी श्रमिक इस वर्ष 29 मार्च से वहां काम कर रहे थे। उन्होंने 16 जुलाई को एक्स हैंडल पर 4 महीने से पारिश्रमिक बकाया रहने और वापस भारत लौटने की इच्छा जताई थी।
मुख्यमंत्री ने मामले को लिया संज्ञान में
मुख्यमंत्री ने इसकी जानकारी प्राप्त होते ही श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग को आवश्यक पहल करने का निर्देश दिया। वहीं, POE, रांची को सचिव, श्रम विभाग की ओर से मामले पर संज्ञान लेने हेतु पत्र भेजा गया। पत्र के माध्यम से कामगारों को उनका बकाया पारिश्रमिक और उनके सुरक्षित झारखंड वापसी किस दिशा में पहल करने को कहा था।
राज्य सरकार की पहल पर कंपनी ने श्रमिकों के बकाये पारिश्रमिक का किया भुगतान, हवाई टिकट की भी व्यवस्था की
श्रम विभाग के तहत कार्यरत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष द्वारा L&T company से संपर्क कर निर्देशित किया गया कि जल्द से जल्द श्रमिकों के बकाया पारिश्रमिक का भुगतान किया जाय। इस संबंध में कोलकत्ता हेड ऑफिस से संपर्क कर पुन: कैमरून, दक्षिण अफ्रीका को मामले से अवगत कराया गया। राज्य सरकार के इस पहल के बाद L&T company ने 17 जुलाई को सभी 27 श्रमिकों को 3 महीने के बकाया पारिश्रमिक के रूप में 30 लाख रुपए का भुगतान किया गया। श्रमिकों ने बकाया पारिश्रमिक मिलने की जानकारी वीडियो के माध्यम से राज्य सरकार को दी। कंपनी ने श्रमिकों को भारत वापस भेजने के लिए एयर टिकट की भी व्यवस्था की। 21 जनवरी को सभी श्रमिक वहां से भारत के लिए उड़ान भरे। 22 जुलाई को मुंबई पहुंचे और फिर ट्रेन से 23 जुलाई को सवेरे झारखंड के पारसनाथ स्टेशन पर आगमन हुआ ।
ज्ञात हो कि हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह के 27 मजदूर कैमरून फंस गए थे। दरअसल कंपनी ने वहां काम करवाने के बाद उन्हें तीन महीने से वेतन नहीं दिया था। जिससे उन्हें खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इससे परेशान होकर मजदूरों ने सोशल मीडिया में वीडियो डाल कर सरकार से मदद की गुहार लगाई थी। जिसपर झारखंड सरकार ने तुरंत संज्ञान लेते हुए मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा। उसके बाद विदेश मंत्रालय ने सक्रियता दिखाते हुए सभी मजदूरों के सकुशल वापसी सुनिश्चित की।