
सीसीएल द्वारा भूरैयतों को गैरमजरूवा भूमि के बदले सीएसआर का लाभ नहीं देने का मामला विधायक ने सदन में उठाया
टंडवा (चतरा)ः टंडवा प्रखंड क्षेत्र में सीसीएल द्वारा संचालित कोल परियोजनाओं में गैर मजरुआ भूमि अधिग्रहण संबंधित नीतियों की घोषणा और अनुपालन में भारी अंतर के मामले को विधायक किसुन दास ने विधानसभा सदन में शुक्रवार को उठाया। श्री दास ने सदन को अवगत कराया कि संचालित परियोजनाओं में भूमि सत्यापन व अनापत्ति के नाम पर जमाबंदी धारक किसानों को नौकरी व मुआवजा समेत अन्य लाभों से वंचित रखा जा रहा है। दूसरी ओर, रैयतों को बगैर समुचित लाभ दिए अधिगृहित भूखंडों में कोल उत्खनन करते हुए परियोजना का विस्तारीकरण किया जा रहा है। मामले में विभागीय मंत्री ने अपने दिए गए जबाव में बताया कि गैरमजरूवा खास जंगल झाड़ी भूमि पर जिला प्रशासन से अनापत्ति व स्वामित्व सत्यापन के पश्चात भारत सरकार के पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा फारेस्ट डायवर्सन के बाद हीं सीआईएल द्वारा आरएनआर पॉलिसी 2012 के तहत नौकरी दी जाती है। हालांकि देखा जाए तो इस मामले में सिस्टम के सुस्त रवैया से भूरैयत जहां ठगे महसूस कर रहे हैं वहीं अविश्वास पनपने के कारण रह- रहकर लोगों में आक्रोश का ज्वार भी उमड़ता रहता है, जिसका कोपभाजन सभी को होना पड़ता है। दूसरी ओर, सीसीएल द्वारा रैयती भूमि का अधिग्रहण करने के बाद भूरैयतों को गैरमजरुआ किस्म के भूमि का लाभ लेने के लिए वर्षों पापड़ बेलने पड़ते हैं।देखा जाए तो इन नीतियों के कारण प्रखंड क्षेत्र में नए खुलने वाले सीसीएल के चंद्रगुप्त व संघमित्रा कोल परियोजनाओं के विस्तारीकरण में भूरैयतों का विश्वास जीतना टेढ़ी खीर साबित होगा।