13 मई को ईवीएम में कैद होंगे मत, 4 जून को समुंद्र से अमृत कलश निकलेगा, उसमें होगा प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

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कांग्रेस और भाजपा के तिलस्मी जादू को तोड़ने के लिए झामुमो का दामन छोड़ बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा ने रणनीति तैयार कर चुनावी मैदान में शंखनाद किया

न्यूज स्केल संवाददात
गुमला। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन दाखिल करने की तिथि समाप्त हो गई है। शुक्रवार को नामांकन पत्रों की स्क्रुटनी, नामांकन वापस की तिथि 29 अप्रैल है। इसके बाद अब-तक चुनावी मैदान में प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा कांग्रेस सहित 17 नामांकन दाखिल हैं। यदि कोई भी नामांकन वापसी तिथि समाप्त हो जाने पर भी नाम वापसी नहीं लेते हैं। तो चुनाव मैदान में कुल 17 प्रत्याशियों के बीच मतदाताओं द्वारा ईवीएम में आगामी 13 मई को ईवीएम मशीन में लोकतंत्र के इस महापर्व पर मतदाताओं द्वारा डाले जाने वाले मतों की कैद से कौन समुंद्र मंथन करते हुए अमृत कलश लेकर विजय हासिल करेंगे। यह 4 जून को मतगणना शुरू हो जाने पर मालूम पड़ेगा। यहां बताते चलें कि सिर्फ गुमला जिले में ही नहीं बल्कि झारखण्ड राज्य के अन्य जिलों में भी कद्दावर नेता सह विधायक चमरा लिंडा की एक अलग पहचान है और आदिवासियों के बीच उनकी बढ़ती राजनीतिक लोकप्रियता से भी विभिन्न राजनीतिक दल अवगत हैं चमरा लिंडा के पास एक लंबी कार्यकर्ताओं की फौज है जो उनके विश्वास के पात्र हैं और समाजिक स्तर पर प्रभावी है ऐसे में बड़े-बड़े राजनीतिक दलों को बैचौनी होना निश्चित है झामुमो कांग्रेस गठबंधन को ठेंगा दिखाते हुए चमरा लिंडा ने जब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया तो बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा को लेकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा आलाकमान से ज्यादा कांग्रेस के नेता चमरा लिंडा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात करते हैं और कहा जा रहा है कि चमरा लिंडा यदि नामांकन वापसी तक अपनी जिद नहीं छोड़ी तो पार्टी कार्रवाई करने के लिए बाध्य है लेकिन यहां बताते चलें कि जैसे धनुष से चली तीर वापस नहीं लौटता वैसे ही दम-खम रखने चमरा लिंडा का लिया गया निर्णय भी शायद ही वापस हो यह हम नहीं कहते बल्कि जन-जन लोग कद्दावर नेता चमरा लिंडा से वाकिफ हैं।