सरकार की अमृत सरोवर योजना जल संरक्षण में विफल, लोगों की परेशानी यथावत, खुद ही जल की बूंदों के लिए तरस रहा लाखों की लागत से बना अमृत सरोवर, जल संरक्षण करने के उद्देश्य से जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जाने का रखा गया था लक्ष्य

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न्यूज स्केल संवाददाता, अजित कुमार यादव
कुंदा(चतरा)। क्षेत्र में बढ़ते जल संकट व घटते जलस्तर को देखते हुए केंद्र सरकार ने आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जल संचयन करने को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में देश के पीएम के आह्वान पर लाखों की लागत से अमृत सरोवर योजना की शुरुआत की है। इस मिशन में अमृत महोत्सव पर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर निर्माण व पुनरुद्धार को लेकर 24 अप्रैल 2022 को संकल्प के साथ एक एकड़ क्षेत्रफल 10,000 हजार घन मीटर पर अमृत सरोवर बनाए जाने के साथ-साथ सरोवर के बांध के चारों तरफ छायादार व फलदार वृक्ष लगाये गए। अमृत सरोवर का निर्माण जल संचयन के साथ बतक पालन, मछली पालन, सिंचाई, जल पर्यटन समेत कई विभिन्न उद्देश्यों के लिए बनाया गया। लेकिन लोगो को शायद ये मालूम नही था की पानी का उपयोग करके रोजगार सृजन करने वाले सरोवर खुद ही बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएगा। यदि स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बनाया गया अमृत सरोवर विफल साबित हो रहा है। गर्मी की शुरुआती में ही जब बड़े पैमाने पर जल संचयन को लेकर बनाए गए अमृत सरोवर ही बूंद-बूंद पाली के लिए तरस रहा है तो जल सकंट का अंदाजा आप लगा सकते हैं।दूसरी तरफ सरोवर के बांध पर रोपाई की गई अमृत वाटिका भी सूख चुका है तो कहीं दिखाई भी नहीं देता की पौधे लगाए गए थे या नहीं। वही इस संबंध में संबंधित विभाग के जेई ने बताया की बारिश कम होने व नया खुदाई हो जाने के कारण तालाब में पानी सूख गया।