Chatra/Prtappur: ओम नमः शिवाय और राधे-राधे के धुन पर 7 दिनों तक बही भक्ति की बयार, उपहार देकर सेवा समिति ने दी कथा वाचिका व टीम को विदाई

0
192

ओम नमः शिवाय और राधे-राधे के धुन पर 7 दिनों तक बही भक्ति की बयार, उपहार देकर सेवा समिति ने दी कथा वाचिका व टीम को विदाई

चतरा। प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय में जारी 11 दिवसीय रुद्र महायज्ञ को लेकर 1 सप्ताह से आयोजित शिव कथा का प्रवचन बीते देर रात संपन हो गया। 7 दिनों तक प्रति संध्या 7ः00 बजे से 10ः00 बजे रात्रि तक प्रस्तुत शिव कथा में प्रखंड के सभी पंचायत के अतिरिक्त बिहार के पड़ोसी प्रखंड व हंटरगंज तथा चतरा से भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त पहुंचे। वहीं इस दौरान विश्वविख्यात कथा वाचिका कृष्णप्रिया जी के प्रवचन, झांकी तथा जयकारा, भोले बाबा की जय, राधे-राधे व ओम नमः शिवाय की धुन पर भक्त झूमते रहे और भक्ति के सागर में गोता लगाते रहे। प्रवचन वाचीका ने लोगों को धर्म-कर्म के प्रति जागृत करते हुए कहा जो धर्म के साथ रहता है धर्म भी उसका साथ हमेशा देता है। जो जैसा कर्म करता है उसका फल उसे इस जन्म के साथ-साथ अगले जन्म में भी मिलता है। पुण्य कार्य करने वाले को इसी जन्म में सुख और दुराचार गलत कार्य पाप करने वाले को इसी जन्म में दुख भोगना पड़ता है। मनुष्य किसी जीव को मार काट कर खाएगा किसका पाप उसे लगेगा ही लगेगा लेकिन जानवर यदि किसी जीव को मारकर खाएगा तो उसे पाप नहीं लगेगा क्योंकि वह विवेकी नहीं है। उसके हृदय में दया नहीं है और उसका स्वभाव ही हिंसक है। गंधारी जैसी पतिव्रता नारी भी पूर्व जन्म में 100 जीव की हत्या अपने इलाज के लिए करवाई थी, जिसकी सजा उन्हें सातवें जन्म में 100 पुत्र को खोकर मिली। साथ हीं उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के आंसू से रुद्राक्ष बना है। असली रुद्राक्ष की पहचान यह है कि हथेली पर कैसे भी दबाएंगे तो ओम की आकृति बनती है। बुधवार देर रात कथा समापन पर कृष्ण प्रिया जी तथा उनके साथ आए कथावाचक के सभी सदस्यों को यज्ञ सेवा समिति के अध्यक्ष कपिल पासवान, सचिव अजीत पांडेय, भोला प्रसाद, निर्मल कुमार, गोलू कुमार, नागेंद्र यादव, रंजीत कुमार, विक्रम कुमार व सावन कुमार के द्वारा उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त कर भावपूर्ण विदाई दी। विदाई के बेला पर कृष्णप्रिया जी ने कहा कि इस क्षेत्र के लोग बहुत अच्छे हैं और सनातन धर्म के लिए हमेशा कार्य करते रहें तथा इस क्षेत्र के सुख समृद्धि की कामना करते हुए विदा हुई।