इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है यहां तक की अपना शरीर भी नहीं, इसलिए अहंकार में नहीं रहे अहंकार का त्याग करेंः अनन्या शर्मा

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इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है यहां तक की अपना शरीर भी नहीं, इसलिए अहंकार में नहीं रहे अहंकार का त्याग करेंः अनन्या शर्मा

प्रतापपुर (चतरा) दुनिया में जिसे आप अपना समझते हैं वह आपका है ही नहीं, ना यह धन ना मकान ना यह तन। हमें सिर्फ यह लगता है कि यह सब हमारा है। पर शरीर भी हमारा नहीं है। यह भी हमें पांच महाभूतों के अंशदान से प्राप्त हुआ इसलिए यदि इस शरीर को पंचायती धर्मशाला कहा जाए तो गलत नहीं है। उक्त विचार प्रतापपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास अनन्या शर्मा जी चौथे दिवस पर कथा सुनाते हुए व्यक्त किये। रजाबेन की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा की अहंकार किसी का नहीं चलता, राजा बेन भी अपने अहंकार में स्वयं को भगवान समझने लगे थे। तब उनका अहंकार साधु संतों द्वारा नष्ट किया गया। आगे चलकर उनके ही वंश में राजा भरत हुए। राजा भारत की कथा सुनते हुए कहा कि यदि आपके अंत समय में आप जिसके विषय में सोचते हैं आपकी आशक्ति जिसमें होती है आपको वही मिलती है। जिस प्रकार राजा भारत के द्वारा संन्यास लेने के बावजूद उनके हृदय में हिरण के विषय में स्मृतियां थी तो उन्हें अगली योनि हिरण की ही मिली। इसलिए कहा जाता है कि अपने अंतिम समय में व्यक्ति को ईश्वर के नाम का स्मरण करना चाहिए। गयासुर की कथा सुनाते हुए बताया कि गयासुर एक राक्षस थे परंतु उनके कर्मों के कारण स्वयं भगवान को उनके पास जाना पड़ा और उन्हें आशीर्वाद देना पड़ा। जो भी उनके गयाधाम जाकर अपने पितरों का तर्पण करते हैं उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होगी। भगवान के नरसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि आप भगवान को सच्चे हृदय से भजेंगे तो भगवान हर समय आपकी मदद के लिए जरूर आएंगे। इसके पश्चात आरती पूजन के पश्चात कथा संपन्न हुई। प्रवचन कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने स्रोतों को बैठने की व्यवस्था पूजा कमेटी के अध्यक्ष राजन गुप्ता व अन्य सदस्यों द्वारा की गई।