औद्योगिक नगरी का हाल, दर्द से बेहाल खटोले में लदी प्रसूता पहुंची अस्पताल

Shashi Pathak
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परियोजना क्षेत्र में विकास का दावा निकला खोखला, तीन सौ आदिवासी परिवार बहुल गांव में मुलभूत सुविधाओं का घोर आभाव

टंडवा (चतरा)। खाट पर लदी महिला को ले जाते परिजनों की तस्वीरें चतरा जिले की कथित औद्योगिक नगरी टंडवा में व्याप्त बदहाली जहां बयां करती है। वहीं सीएसआर मद से संचालित परियोजनाओं द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में मुलभूत सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे की पोल खोलती है। व्याप्त भ्रष्टाचार पर ग्रामीण उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार दोपहर खाट पर लदी महिला को परिजनों द्वारा अस्पताल ले जाने की तस्वीर राहम गांव के आदिवासी बहुल नवाटांड टोले की रहने वाली अनीता देवी की है।

जब अचानक हुई प्रसव पीडा़ के बाद लगभग पांच किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने के लिए परिजन खाट पर लादकर ले गये। वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। बताया गया कि राहम गांव के नवाटांड़, धमनाटांड व मिर्चैया टांड़ में रहने वाले लगभग 300 आदिवासी परिवारों को आवागमन हेतु मजबूरी में जर्जर व फिसलन भरी पगडंडियों से हीं गुजरना पड़ता है। बरसात के दिनों में तो स्थिति काफी भयावह हो जाती है। आपात सेवाओं के लिये उनतक एम्बुलेंस भी नहीं पहुंच पाता और ना हीं उन लोगों के पास यातायात के अन्य कोई सुलभ साधन हीं मौजूद हैं। मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर रहने के कारण जनप्रतिनिधियों व सरकारी सिस्टम को वे जी भरकर कोसते हैं इस गांव-टोले में निवास करने वाले। तस्वीर में आप सड़क में जमे भारी कीचड़ तथा लोगों की बदहाली का अनुमान लगा सकते हैं। लोगों की मानें तो परिजन व ग्रामीण प्रसूता को खाट पर लादकर जैसे-तैसे अस्पताल तक पहुंचे जिससे उसकी जान बच सकी। इस मामले में ग्रामीण बीरेंद्र उरांव ने बताया कि उसके गांव से कुछ हीं दूरी पर केंद्र सरकार द्वारा संचालित हाइटेक एनटीपीसी का बिजली प्लांट व बहुचर्चित सीसीएल की मगध कोल परियोजना संचालित है। अबतक सीएसआर मद से अरबों रुपए ग्रामीणों के मुलभूत सुविधाओं के विकास में खर्च करने का दावा किया जाता है जो सिर्फ खोखला हीं नजर आता है। वहीं ग्रामीण सुस्त व लाचार सिस्टम पर कई सवालिया निशान लगाये हैं। लोगों ने कहा कि जिस इलाके से अरबों-खरबों रुपए का जब शुद्ध मुनाफा संचालित परियोजनाओं द्वारा अर्जित किया जा रहा हो, वहां की ऐसी स्थिति बेहद हीं शर्मनाक है। लोगों ने जिला प्रशासन, औद्योगिक प्रबंधन व जबाबदेह जनप्रतिनिधियों को अपने दायित्वों का एकबार इमानदारी से मूल्यांकन करने की अपील की है।

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