
जीएम के दोहरे रवैये से क्षुब्ध ग्रामीण विरोध में आयोजित कार्यक्रम का बहिष्कार करते हुवे सतर्क रहने की कर हैं अपील
टंडवा(चतरा) आम्रपाली कोल परियोजना के विस्तार हेतु प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारी इन दिनों जहां पूरी एड़ी चोटी का जोर लगाये हुवे हैं वहीं दूसरी ओर प्रबंधन के खोखले वादे और दोहरे रवैये से क्षुब्ध ग्रामीण विरोध में मोर्चा खोलते हुवे संगठित होने लगे हैं। बता दें, 619.87 हेक्टेयर में कोल उत्पादन कर 28 मिट्रिक टन प्रतिवर्ष के लक्ष्य को हासिल करने हेतु प्रबंधन प्रयासरत है। बताया जाता है कि ओपेन कास्ट उत्पादन के लिए 619.87 हेक्टेयर से 1298.98 हेक्टेयर तक के पट्टे क्षेत्र में वृद्धि की गई है। जिसके लिए होन्हे, कुमारंग कला, कुमरांग खुर्द,उड़़सू और बिंगलात के ग्रामीणों से अनापत्ति लेने हेतु 07 मार्च शुक्रवार को सुबह 11:30 बजे थाना क्षेत्र के उड़सू गांव में जन सुनवाई कार्यक्रम प्रस्तावित है। इधर अब तक परियोजना प्रबंधन के कुनीतियों से क्षुब्ध ग्रामीणों में भारी विरोध के स्वर भी उभर कर सामने आये हैं। जहां कार्यक्रम का बहिष्कार करने की रणनीति बनाई जा रही है। जबकि आरोप ये लगाया जा रहा है कि कुछ बिचौलिये कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये खूब पसीना बहा रहे हैं।
आखिर क्या वजह है विस्थापित रैयतों में आक्रोश का मूल वजह
लोगों की मानें तो आम्रपाली कोल परियोजना खुलने के 11 वर्ष बाद भी पांच गाँवों के लोगों को अपेक्षित लाभ से दूर रखा गया है। यहां भयादोहन और बाहरियों के क़ब्ज़े से अवसरों पर ग्रहण लग गया है । प्रबंधन का मूकदर्शक होने से उसके पूर्व वादे खोखले साबित हुवे हैं। हजारों करोड़ का शुद्ध मुनाफा अर्जित करने के बावजूद प्रबंधन केवल अपनी झोली भरता रहा जबकि स्थानीय लोगों को शिक्षा, मुआवजा, नौकरी, बिजली,पानी जैसे मूलभुत जरुरतों को पूरा करने के लिए दर- दर की ठोकरें खाते हुवे याचना करने के लिए विवश होना पड़ा है। लोगों का कहना है कि तोहफ़ा में उन्हें सिर्फ कोल वाहनों से अकाल मौत , भारी प्रदूषण से लाचार कर सिर्फ दीर्घकालिक बीमारी मिल रही है । आरोप तो ये भी लगाया जाता है कि हक- अधिकारों की माँग करने वालों को षड्यंत्रपूर्वक फर्जी मुकदमा में फंसाकर प्रबंधन अपने विरोध के रास्ते साफ करती रही है।
भू-रैयत सुनील भारती ने कहा कि दुर्भाग्यवश देशहित में हम भू संपदा समेत चैन और सुकून की जिंदगी कुर्बान कर भी यहां दर दर की ठोकरें खाने के लिए विवश हैं । वहीं अमर यादव ने प्रबंधन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुवे कथनी और करनी में भारी फर्क बताया। कहा कि फर्जीवाड़े का शिकार हुवे दर्जनों रैयत फरियादी बनकर वर्षों से अधिकारियों की परिक्रमा कर रहे हैं बावजूद उनकी सुध नहीं ली जा रही है। कुल मिलाकर उक्त कार्यक्रम को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश चरम पर है जबकि बिचौलियों के सांठ-गांठ से सफल बनाने हेतु हर संभावित तरकीबें अपनाई जा रही है।