लगात नहीं मलने से टामटर की खेती करने वाले किसान हैं परेशान, कर्ज चुकाने की बढ़ी परेशानी

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चतरा/पत्थलगड़ा। भारत में सिर्फ खेती-किसानी ही एक मात्र ऐसा संसाधन है जिसने भीषण मंदी और कोरोना के दौर में देश की अर्थव्यवस्था को बचाए रखा और लोगों को भूखों नहीं मरने दिया। लेकिन बाजार की समुचीत व्यवस्था व प्रोसेसींग पलांट के नही रहने के कारण चतरा जिला अंतर्गत पत्थलगड़ा प्रखंड के किसान अपनी टमाटर की उपज खेत में छोड़ने या सड़कों पर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं। पत्थलगड़ा प्रखंड के नावाडीह, डमोल, बेलहर, दुंबी, कुबा, बरवाडीह, पत्थलगड़ा, सिंघानी, नोनगांव, मेराल गांव के साथ सिमरिया, गिद्धौर आदि प्रखंड में टमाटर के खेती में किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। भुक्तभोगी किसानों ने का कहना है कि टमाटर की खेती करने से लेकर उपजाने तक न्यूतम पूंजी 4000 से 45000 हजार लगा है और अभी 80 रुपए कैरेट आनि 2 से 3 रुपये किलो व्यापारियों द्वारा लिया जा रहा है। ऐसे में खेती कर के घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है। क्षेत्र के किसन कोमल दांगी, उदय दांगी, नागेश्वर दांगी, रामसेवक दांगी आदि का कहना है कि टमाटर की खेती ने हमें बर्बाद कर दिया है। लागत तक नहीं निकल रहा है। कुछ टमाटर खेत में फेंक दिया। बाजार में टमाटर का दाम नहीं मिला तो दर्जनों कैरेट टमाटर फेंकना पड़ा। ऐसे में रातों की नींद गायब हो गई है। घर की हालात ऐसी है जैसे मइयत पड़ी हो। समझ में नहीं आ रहा है कि हमारे जैसे किसान क्या करें? अन्य किसानों ने बताया कि हमलोग बैंक व महिला समूह से ऋण लेकर टमाटर की खेती किए हैं।