
न्यूज स्केल संवाददाता
प्रतापपुर (चतरा)। वन पट्टा अधिकार के तहत जमीन मिलने की उम्मीद में जिले के प्रतापपुर सहित अन्य प्रखंड़ों में कई लोग अपने पक्के घर को छोड़कर जंगलों में झोपड़ी लगाकर रह कर यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि हम भूमि हीन हैं और हमें मकान बनाने के लिए जमीन चाहिए, क्योंकी इस जमीन के हकदार हम हैं। इसमें इनका कहीं से कोई भी दोष नजर नहीं आता है, बस इतना सुना कि शायद जंगल में रहने वालों को वन पट्टा मिलता है और यही बात सुनकर अपना खटिया-मचिया लेकर छोटी सी झोपड़ी बनाकर दवा करने को लेकर रहने का प्रयास करने लगे। यदि भविष्य में उन्हें वन पट्टा नहीं मिलता है और वन विभाग एक्शन मोड में आता है और इन पर कार्रवाई करता है ऐसे में तो यह गरीब बे मतलब के परेशान भी होंगे और कानूनी पचड़े में भी फसेंगे। जानकारों की माने तो होना तो यह चाहिए था कि वनपट्टा किसको मिलेगा इसका असली हकदार कौन है इसका आम सभा करके व्यापक स्तर पर प्रचार कर लोगों को जागरुक किया जता। लेकिन ऐसा नहीं करके कहीं ना कहीं लोगों को अंधेरे में रखकर उनके साथ गलत किया जा रहा है। अभी भी वक्त है कि वन पट्टा का असली हकदार कौन है इसका प्रचार प्रसार करते हुए इन लोगों को जागरुक कर अवैध रूप से कब्जा किए गए वन भूमि को मुक्त कराया जाय, अन्यथा आने वाले दिनों में और भी परेशानियां बढ़ेंगी, जंगल तो उजड़ ही रहे हैं।