सिरम टोली सरना समिति के सरहुल महोत्सव में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन हुए शामिल, सरना स्थल में विधि-विधान से की पूजा अर्चना, कहा गांवों की तरह शहर भी हरा-भरा रहे, इस दिशा में सामूहिक प्रयास करना होगा
मुख्यमंत्री बोले सरहुल पर्व एक ओर हमें प्रकृति से जोड़ता है तो दूसरी तरफ अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति का अहसास कराता है, जल-जंगल-जमीन है, तभी हमारा वजूद है
रांचीः जल-जंगल-जमीन है, तभी हमारा वजूद है। अगर हम प्रकृति को संरक्षित नहीं कर पाए तो आने वाली पीढ़ी को कई बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को रोकने के लिए हम सभी को आगे आना होगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सिरमटोली सरना समिति की ओर से आयोजित सरहुल महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा। आगे कहा कि गांवों की तरह शहर भी हरा-भरा रहे, इस दिशा में सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। मौके पर मुख्यमंत्री ने सरना स्थल में पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर राज्य वासियों के सुख-समृद्धि, उन्नति और खुशहाली की कामना की।
वर्षों से चली आ रही प्रकृति पूजा की परंपरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरहुल का त्यौहार एक ओर हमें प्रकृति से जोड़ता है तो दूसरी तरफ अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति का सुखद अहसास कराता है। यही वजह है कि आदिवासी समाज वर्षों से प्रकृति पूजा की परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं।
जरूरतों और चुनौतियों के बीच संतुलन बनाना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में हमारी जरूरतें जिस तेजी से बढ़ रही है, उसी हिसाब से चुनौतियां भी सामने आ रही है। इसका सीधा असर हमारी प्राकृतिक व्यवस्था व्यवस्था पर पढ़ रहा है। अगर अपनी जरूरतों और चुनौतियों के बीच संतुलन नहीं बना पाए तो इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसे में जरूरत है कि प्रकृति की गोद से जो हम हासिल कर रहे हैं, उसे पूरा लौटाना तो नामुमकिन है, लेकिन पेड़ लगाकर और पेड़ बचाकर हम प्रकृति के प्रति कुछ तो अपना योगदान कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने जंगल के साथ नदी-नाले और पहाड़ों को बचाने के लिए भी लोगों से आगे आने को कहा।