
न्यूज स्केल डेस्क
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी रण में भाजपा को उम्मीद के अनुरुप सफलता नहीं मिली। पार्टी नेतृत्व ने इस बार एनडीए के लिए 400 पार का नारा बुलंद किया था। हालांकि बीजेपी को 240 सीटों पर ही जीत मिली। इस तरह 543 सीट वाली लोकसभा में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। पर एनडीए गठबंधन बहुमत हासिल करने में सफल हुई। इसमें अहम भूमिका जिन दलों ने निभाया उनमें टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू महत्वपूर्ण है। वह किंगमेकरश् के रुप में उभरे हैं, क्योंकि सत्तारूढ़ एनडीए में बीजेपी के बाद टीडीपी ही दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर आई है। उसने लोकसभा चुनाव 2024 में 16 सीटें जीती हैं। तीसरे नंबर जेडीयू को 12 सीट आई हैं। इस तरह सीटों के समीकरण में एनडीए सरकार के गठन में बीजेपी को टीडीपी के साथ नीतीश कुमार की जेडीयू पर निर्भर रहना पड़ेगा। इस सियासी हालात में क्या चंद्रबाबू नायडू पर भरोसा किया जा सकता है। रिकॉर्ड देखें तो नायडू पहले भी गच्चा देते रहे हैं।
इंडिया से भी किंगमेकर नायडू को ऑफर
चंद्रबाबू नायडू को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा जोरों पर है। ऐसा माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन की ओर से भी उन्हें ऑफर मिल रहे हैं। हालांकि टीडीपी प्रमुख ने ऐलान किया है कि हम एनडीए में हैं और मैं बैठक के लिए दिल्ली पहुंचे। चंद्रबाबू नायडू के इस घोषणा से भाजपा ने राहत की सांस अवश्य ली होगी। जबकी सच्चाई ये भी है कि नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर मार्च, 2018 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़ा था। लेकिन उनके इस फैसले का असर 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नजर आया था। उन्हें दोनों ही इलेक्शन में करारी शिकस्त मिली और उन्हें सियासी नेपथ्य में धकेल दिया था।
चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए 2018 में छोड़ा था और 2024 में लौटे
चंद्रबाबू नायडू ने छह वर्ष बाद मार्च 2024 में एनडीए का दामन थामा। आंध्र प्रदेश में बीजेपी और जनसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। गठबंधन के तहत प्रदेश की कुल 175 विधानसभा सीट में से टीडीपी 144, जनसेना 21 और बीजेपी 10 सीटों पर चुनाव लड़ी। राज्य में बीजेपी के साथ गठबंधन होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा और मुस्लिम आरक्षण की पैरवी की। उन्होंने खुलकर कहा कि हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा। हालांकि अपने घोषणापत्र में टीडीपी ने इस मुद्दे से दूरी बना ली।
चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री मोदी की करते रहे तारीफ, लेकिन…?
एनडीए में लौटने के बाद भले ही चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर मौके पर तारीफ करते दिखे हों, लेकिन पूर्व में उनके साथ रिश्ते सहज नहीं रहे। नायडू ने 2002 में गुजरात दंगे के बाद मोदी का विरोध किया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान भी हैं। वह आंध्र प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने कई कार्यकाल में 13 साल 247 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के वह ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने अविभाजित और आंध्र से अलग कर तेलंगाना का गठन के बाद राज्य की बागडोर संभाली।
चंद्रबाबू नायडू के अगले दांव पर सभी की निगाहें…
राज्य ही नहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी चंद्रबाबू नायडू का विशेष दबदबा रहा है। 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने संयुक्त मोर्चा का नेतृत्व किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को समर्थन देने से पहले वह संयुक्त मोर्चा के संयोजक थे। चंद्रबाबू नायडू जब एनडीए में आए थे तो उस समय इसके संयोजक भी रहे। उनका सियासी सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ और युवा कांग्रेस में भी रहे। बाद में आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में शामिल हो गए। अब नए सियासी हालात में वो केंद्र की एनडीए सरकार में किंगमेकर बनकर उभरे हैं। अब ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की उनका अगला दांव क्या रहेगा।