
इस फैसले के बाद चुनावी प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल खत्म हो गए हैं
न्यूज स्केल डेस्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में वोट डालने के बाद हर वीवीपैट का मिलान करने की याचिका को किया खारिज। उक्त फैसले के बाद चुनावी प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल पर विराम लग गया है। चुनाव भी बैलट पेपर से नहीं होगा। इस मामले में लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला बुधवार को सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या ईवीएम में डाले गए हर वोट से वीवीपैट का मिलान हो सकता है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा था, ऐसा करने से फैसला आने में 12 से 15 दिन तक समय लग सकता है।
दूसरे तीसरे नंबर के कैंडिडेट ईवीएम की पांच फीसदी तक करा सकते हैं जांच, 45 दिनों तक वीवीपैट को सुरक्षित रखने के आदेश
कोर्ट ने लंबे सुनवाई के बाद ईवीएम से वोटिंग करने का फैसला दिया। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि कोई भी दूसरे तीसरे नंबर पर आने वाला कैंडिडेट ईवीएम की पांच फीसदी तक जांच करा सकता है। जांच में आने वाला खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। मतदान के 45 दिनों तक वीवीपैट को सुरक्षित रखने का भी निर्देश चुनाव आयोग को दिया है। इससे किसी विवाद की स्थिति में ईवीएम के वोटों और वीवीपैट का मिलान किया जा सकेगा।
कभी हैकिंग नहीं हो सकती ईवीएम की
सुनवाई के दौरान कोर्ट को चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम की हैकिंग कभी नहीं हो सकती है। ऐसे में सवाल उठाना तकनीकी रूप से गलत है। ईवीएम का वीवीपैट से मिलान कराना संभव नहीं है। पांच फीसदी ईवीएम के साथ वीवीपैट का मिलान कराया जा सकता है। जिससे उम्मीदवार की शंका दूर हो सकती है।
उम्मीदवारों की मौजूदगी में सभी सिंबल लोडिंग सील करें
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ऐसे समय में सुनाया, जब देश के 88 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है। कोर्ट ने कहा कि सभी सिंबल लोडिंग को सील उम्मीदवारों की मौजूदगी में ही करें। सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बैलेट पेपर से मतदान होते हुए हमने देखा है। उस समय क्या होता था, हमें पता है।